उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में बहगुल नदी पर बने अस्थायी पुल को हटाये जाने से 200 से ज्यादा गांव के लोग प्रभावित हुए हैं. पुल हटाए जाने से नाराज लोगों ने बुधवार को विरोध-प्रदर्शन किया. स्थानीय लोगों ने कहा कि कलान इलाके में बारिश के कारण जलस्तर बढ़ने के बाद अस्थायी पुल को हटा दिया गया, जिस कारण 200 से अधिक गांवों के लोगों को जिला मुख्यालय आने के लिये 60 के बजाय 120 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है. ऐसे में खासकर गंभीर बीमारियों के मरीजों को इलाज के लिए मुख्यालय तक ले जाना खासा मुश्किल हो गया है.
उन्होंने बताया कि इस नदी पर वर्ष 2008 में बनाया गया पुल साल 2021 में टूट गया था. उसकी मरम्मत करके उस पर आवागमन शुरू हुआ लेकिन कमजोर होने की वजह से उस पर केवल दो पहिया वाहनों को ही आने-जाने की इजाजत है. इसके अलावा नदी पर एक अस्थाई पुल भी बनाया गया था जिस पर दो पहिया के साथ-साथ कार जैसे चार पहिया वाहन भी आते-जाते थे लेकिन बारिश के कारण इस पुल को हटा लिया गया है.
जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर मिर्जापुर गांव के निवासी शैलेंद्र पांडेय ने बताया कि बरेली-इटावा मार्ग से बदायूं होकर मुरादाबाद जाने वाले रास्ते पर लगभग लगभग दो किलोमीटर लंबा पुल वर्ष 2008 में बनाया गया था.
उन्होंने कहा, “पुल न होने से हमारे गांव के लोग परेशान हैं. इससे जिला मुख्यालय के लिये दूसरे रास्ते से घूमकर जाना पड़ रहा है. पहले उन्हें कलान से फर्रुखाबाद जिले के राजेपुर होते हुए शाहजहांपुर आना पड़ता है. इस तरह लोगों को मजबूरन 60 के बजाय 120 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. ऐसे में गंभीर मरीजों को इलाज के लिए मुख्यालय तक ले जाने में खासी दुश्वारी होती है.” निवासी ने कहा, “जो दूसरा रास्ता है उसमें जगह-जगह वाहन बदलने पड़ते हैं और शाम के बाद वाहन मिलना बंद हो जाते हैं.”
सोमवंशी ने बताया कि उन्होंने गत 12 जुलाई को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस पुल पर हल्के वाहनों को शुरू करने के लिए मांग पत्र दिया था और कहा था कि 15 जुलाई तक अगर हल्के वाहनों के लिए पुल नहीं खोला गया तो इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया जाएगा. जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने बताया, “हमने पुल की जरूरत के बारे में सरकार को बता दिया है और मामले पर कार्रवाई जारी है.”