योगी आदित्यनाथ की फाइल फोटो
लखनऊ:
जहां पूरी दुनिया में पर्यावरण को बचाने के लिये ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने पर जोर दिया जा रहा है. वहीं, यूपी सरकार ने अजब फरमान जारी किया है. प्रदेश की योगी सरकार ने वन नीति में बड़ा बदलाव करते हुए सिर्फ चार प्रजाति के पेड़ों को प्रतिबंधित सूची में रखा है. यानि कि, इस सूची में शामिल किये गए चार चुनिंदा पेड़ों को छोड़कर किसान मनमर्जी पेड़ की कटान कर सकेंगे. प्रदेश सरकार के इस कदम से न सिर्फ पर्यावरणविद हैरान हैं बल्कि, वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी निराशा व्यक्त की है.
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वन विभाग ने किसानों के हित में घोषित की गई वन नीति-2017 में बड़ा बदलाव किया है. इसके मुताबिक, वन विभाग ने यूपी में चार तरह के पेड़ों को छोड़ बाकी पेड़ों की कटान पर लगी रोक हटा ली गई है. अब आम, नीम, साल और महुआ पेड़ काटने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
जारी शासनादेश के मुताबिक, 31 दिसंबर 2025 तक इन प्रजातियों के पेड़ों को तब तक नहीं काटा जा सकता, जब तक वे खुद सूख न जाएं, इन पेड़ों से किसी व्यक्ति या संपत्ति को खतरा हो या फिर विकास के काम में यह पेड़ बाधा बन रहे हों. हालांकि, ऐसी परिस्थिति में भी इन पेड़ों को काटने के लिये सक्षम अधिकारी से परमीशन लेनी होगी. पर्यावरण की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुके लखनऊ के पेड़ वाले बाबा के नाम से मशहूर मनीष तिवारी भी सरकार के इस फैसले से हैरत में हैं, वे कहते हैं कि जरूरत पेड़ो को काटने से रोकने की हैं लेकिन यह निर्णय तो पर्यावरण को नुकसान पहुचने वाला है.
सरकार के अजब-गजब फरमान के विपरीत पिछले साल पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के कार्यकाल में 11 जुलाई 2016 को प्रदेश की 6166 जगहों पर करीब 81000 हेक्टेयर में 5 करोड़ पेड़ लगाए गए थे. प्रदेश सरकार की इस कवायद को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था और इसकी सराहना भी हुई थी. इस रिकॉर्ड के मुताबिक सबसे ज्यादा पेड़ उन्नाव जिले में लगाए गए थे, जहां एक दिन में 22.50 लाख पेड़ लगाए गए, जबकि ललितपुर में 17 लाख, झांसी में 12 लाख, अवध और श्रावस्ती में 12 लाख पेड़ लगाए गए थे.
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गिनीज बुक में शामिल होने केलिए करीब एक महीने की तैयारी की गई थी. वन विभाग और जिला प्रशासन की 14 जोनल टीमें बनाई गई थीं. जिसमें लगभग सभी जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारी के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों ने भी जमकर हिस्सा लिया था.
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वन विभाग ने किसानों के हित में घोषित की गई वन नीति-2017 में बड़ा बदलाव किया है. इसके मुताबिक, वन विभाग ने यूपी में चार तरह के पेड़ों को छोड़ बाकी पेड़ों की कटान पर लगी रोक हटा ली गई है. अब आम, नीम, साल और महुआ पेड़ काटने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
जारी शासनादेश के मुताबिक, 31 दिसंबर 2025 तक इन प्रजातियों के पेड़ों को तब तक नहीं काटा जा सकता, जब तक वे खुद सूख न जाएं, इन पेड़ों से किसी व्यक्ति या संपत्ति को खतरा हो या फिर विकास के काम में यह पेड़ बाधा बन रहे हों. हालांकि, ऐसी परिस्थिति में भी इन पेड़ों को काटने के लिये सक्षम अधिकारी से परमीशन लेनी होगी. पर्यावरण की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुके लखनऊ के पेड़ वाले बाबा के नाम से मशहूर मनीष तिवारी भी सरकार के इस फैसले से हैरत में हैं, वे कहते हैं कि जरूरत पेड़ो को काटने से रोकने की हैं लेकिन यह निर्णय तो पर्यावरण को नुकसान पहुचने वाला है.
सरकार के अजब-गजब फरमान के विपरीत पिछले साल पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के कार्यकाल में 11 जुलाई 2016 को प्रदेश की 6166 जगहों पर करीब 81000 हेक्टेयर में 5 करोड़ पेड़ लगाए गए थे. प्रदेश सरकार की इस कवायद को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था और इसकी सराहना भी हुई थी. इस रिकॉर्ड के मुताबिक सबसे ज्यादा पेड़ उन्नाव जिले में लगाए गए थे, जहां एक दिन में 22.50 लाख पेड़ लगाए गए, जबकि ललितपुर में 17 लाख, झांसी में 12 लाख, अवध और श्रावस्ती में 12 लाख पेड़ लगाए गए थे.
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गिनीज बुक में शामिल होने केलिए करीब एक महीने की तैयारी की गई थी. वन विभाग और जिला प्रशासन की 14 जोनल टीमें बनाई गई थीं. जिसमें लगभग सभी जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारी के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों ने भी जमकर हिस्सा लिया था.
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