कानपुर में चला कुर्सी-कुर्सी का गजब ड्रामा, एक ऑफिस में कुर्सी डाल बैठ गए दो CMO

कानपुर में आज की तारीख में दो चीफ मेडिकल अफसर हो गए हैं. दोनों एक ही कमरे में बैठ रहे हैं.

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  • कानपुर जिले में दो चीफ मेडिकल अफसर एक ही समय में कार्यरत हैं, जो प्रशासनिक विवाद के कारण हुआ है और दोनों एक ही कमरे में बैठते हैं.
  • जून में डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह और डॉक्टर हरिदत्त नेमी के बीच विवाद के बाद डॉक्टर नेमी को सस्पेंड कर दिया गया था, जिसके बाद डॉक्टर उदयनाथ को नया सीएमओ नियुक्त किया गया.
  • डॉक्टर हरिदत्त नेमी ने अपने निलंबन के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्हें बिना नोटिस दिए निलंबित करने पर रोक लगाई गई.
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कानपुर:

एक ही जिले में दो CMO, सुनने में अजीब लगता है पर है तो सोलह आने सच. कानपुर में आज की तारीख में दो चीफ मेडिकल अफसर हो गए हैं. दोनों एक ही कमरे में बैठ रहे हैं. दोनों में कहीं झगड़ा या मारपीट न हो जाए तो पुलिस फोर्स भी लग गई है. कमरे के बाहर से लेकर बिल्डिंग तक में पुलिस वालों की तैनाती हो गई है. कानपुर के डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह के चक्कर में दो CMO वाली व्यवस्था बन गई है. इसके कारण जिले की मेडिकल व्यवस्था बिगड़ने की आशंका है. 

क्‍यों हुए थे सस्‍पेंड 

बीते 19 जून को कानपुर के सीएमओ डॉक्टर हरिदत्त नेमी को सस्पेंड कर दिया गया था. वहां के डीएम जितेन्द्र सिंह से उनकी अनबन हो गई थी. एक मीटिंग में दोनों में झगड़ा हो गया तो डीएम ने सीएमओ को मीटिंग से बाहर कर दिया. डीएम जितेन्द्र ने उन पर आर्थिक गड़बड़ी के आरोप लगाए. डॉक्टर नेमी ने भी उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. मामला मुख्यमंत्री के ऑफिस तक पहुंचा. बाद में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने उन्हें सस्पेंड कर दिया. उनकी जगह डॉक्टर उदयनाथ नए सीएमओ बना दिए गए. इसे डीएम जितेन्द्र प्रताप की जीत समझा गया. 

हाईकोर्ट पहुंचा मामला 

अपने निलंबन से खिलाफ डॉक्टर हरिदत्त नेमी इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गए. अदालत से उन्होंने अपना निलंबन ख़त्म करने की अपील की. उन्होंने कोर्ट से कहा कि सस्पेंड करने से पहले उन्हें नोटिस नहीं दिया गया. उन्हें अपनी बात रखने तक का मौक़ा नहीं मिला. हाई कोर्ट से उन्हें राहत मिल गई है. अदालत ने उनके निलंबन पर रोक लगा दी है. कोर्ट के आदेश आते ही हरिदत्त नेमी कानपुर पहुंच गए. अगले दिन जाकर वे सीएमओ की कुर्सी पर भी बैठ गए. 

अब आगे क्या ! यही सबसे बड़ा सवाल है. एक जुल में दो तो सीएमओ कैसे हो सकते हैं. आखिर किसका आदेश माना जाएगा. चीफ मेडिकल अफसर पर सभी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की जिम्मेदारी होती है. यूपी सरकार की तरफ से भेजे गए डॉ उदयनाथ कहते हैं कि मुझे स्वास्थ्य विभाग ने तैनात किया है. अब फैसला स्वास्थ्य विभाग को ही करना है. कानपुर में सीएमओ कौन बना रहेगा ! 

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