"फिर खूब तालियां बजती थीं..." : मुलायम सिंह के करीबी रामफल ने बताए 'नेताजी' के पहलवानी के किस्से

रामफल ने कहा, " मैं और मेरे साथ के और भी लड़के पहलवानी करते थे और उनसे सीखते थे. वो एक बहुत अच्छे पहलवान थे. साथ ही अच्छे इंसान भी थे. वो कभी चुनाव नहीं हारे. अपने से दोगुने दमदार पहलवान से लड़ते थे."

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रामफल ने भावुक होते हुए कहा, " नेताजी की सबसे खास बात ये थी कि वो किसी को छू लेते थे."

सैफई:

उत्तर प्रदेश के पूर्वमुख्यमंत्री और सपा नेता मुलायम सिंह यादव का सोमवर को लंबे समय तक बीमार रहने के बाद निधन हो गया. दिल्ली से उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव सैफई लेकर जाया गया, जहां उनके परिजनों और समर्थकों का हुजूम उमड़ गया है. सभी 'नेताजी' की आखिरी झलक पाने की कोशिश कर रहे हैं. इसी क्रम में दिवंगत नेता के पुराने सहयोगी सैफई के प्रधान रामफल वाल्मीकि ने एनडीटीवी से बातचीत की. रामफल मुलायम सिंह के साथ उनके राजनीतिक जीवन के शुरुआती दौर से रहे हैं.

उन्होंने कहा, " नेताजी जब पहली बार विधायक बनें तब वो पहलवानी करते थे. ऐसे में वो सभी नौजवानों को पहलवानी के दाव भी सिखाते थे. खेतों में जब दंगल होता था वो उसमें हिस्सा लेते थे. उन्होंने कभी छुआछूत नहीं मानी. वो सभी को प्यार देते थे. सबको कुश्ति के दांव सिखाते थे."

रामफल ने कहा, " मैं और मेरे साथ के और भी लड़के पहलवानी करते थे और उनसे सीखते थे. वो एक बहुत अच्छे पहलवान थे. साथ ही अच्छे इंसान भी थे. वो कभी चुनाव नहीं हारे. अपने से दोगुने दमदार पहलवान से लड़ते थे. हमें भी यही सिखाते थे कि दोगुने दमदार पहलवान से लड़ो और जीतो. हारने का तो नाम ही मत लो. उनका चरखा दांव फेमस था, वो उससे अगले पहलवान को चकमा देकर चारों खाने चित्त कर देते थे. फिर खूब तालियां बजती थीं. वो हिंदी पढ़ाते थे. उसके बाद फिर वो राजनीति में चले गए."

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उन्होंने कहा, " नेताजी सबसे कम उम्र के विधायक बनें. हम उनके साथ चुनाव प्रचार में जाते थे. साधन अधिक नहीं थे तभी लेकिन फिर भी हम दूर-दूर तक जाते थे और प्रचार करते थे. साइकिल से भी प्रचार करते थे. वो ये भी ख्याल रखते थे कि हम लोग थक ना जाएं. वो सभी को उनके नाम से पुकारते थे. वो बहुत दयालु थे. उसी का परिणाम है कि वो किसान नेता हुए. वो कहते थे कि जब आखिरी पायदान पर खड़े लोगों का विकास होगा तो ही समाजवाद सफल होगा." 

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रामफल ने भावुक होते हुए कहा, " नेताजी की सबसे खास बात ये थी कि वो किसी को छू लेते थे. मेरे पिता को संक्रामक बिमारी थी. ये सुनकर वो मेरे घर आए और उनके सामने मेरा हाथ पकड़ कर कहा कि चाचा जी रामफल मेरा छोटा भाई है, इसकी चिंता मत करना. इसे कोई परेशानी नहीं होने देंगे. उन्होंने हमेशा ये बात निभाई और साथ दिया. नेताजी ने सभी समाज के लिए काम किया. "

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