- प्रयागराज में हुई हिंसा पर सांसद चंद्रशेखर आजाद ने प्रशासनिक विफलता की ओर इशारा किया है.
- उन्होंने कहा कि हिंसा के नुकसान का आकलन करना जरूरी है और आरोपों की जांच होनी चाहिए.
- आजाद ने आरोप लगाया कि दलितों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई में पक्षपात हो रहा है.
- उनका कहना है कि हिंसा के पीछे एक षड्यंत्र है, जो दलितों की आवाज को दबाने के लिए है.
प्रयागराज में हुई हिंसा पर नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने NDTV से बात की. उन्होंने कहा कि हिंसा होना किसका फेलियर है? किसी भी जिले में घटना होती है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह वहां के इंटेलिजेंस, पुलिस और प्रशासन का फेलियर है? यह मेरा फेलियर नहीं है. ये एजेंसियों का फेलियर है. हिंसा में किसका नुकसान हुआ है, यह जानना जरूरी है. हिंसा में कौन फंसे हैं, यह भी समझना जरूरी है. पहले दिन लोगों ने चला दिया कि भीम आर्मी के लोगों ने या फिर आजाद समाज पार्टी के लोगों ने हिंसा कर दी. आरोप जो आगे बढ़ेगा, उसी पर लगता है. जो चमक रहा है, उसी पर आरोप लगाते हैं. जो धूल में पड़ा हुआ है, उस पर थोड़े ना आरोप लगते हैं. आजाद समाज पार्टी संघर्ष कर रही है. जब से वह बनी है, तब से उसके ऊपर आरोप लग रहे हैं. 2014 से 2025 आ गया है. हम लोग आप से नहीं डरते हैं. जब कमजोर अपनी हक की लड़ाई लड़ता है तो उसे पर आरोप लगते ही हैं. जब कोई उनकी कोई आवाज बनता है, तो उसे दबाने के लिए तमाम तरह के षड्यंत्र होते हैं और वही हो रहा है.
हम खुद को गोली क्यों मारेंगे?
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि पूरा प्रदेश हमारा है. देश में हमारे ही लोग तो हैं. हम भारतीय है ना. सरकारी संपत्ति हमारी है, तो हम अपनी संपत्ति को क्यों नुकसान पहुंचाएंगे? हमारे लोग बेवकूफ थोड़े ना हैं. पढ़े-लिखे लोग हैं. वह अपने हाथों को क्यों तोड़ेंगे? टांग को क्यों तोड़ेंगे? हम संविधान को मानने वाले लोग हैं. हम खुद को गोली क्यों मारेंगे? यह एक षड्यंत्र है. मैं कह रहा हूं इसकी सीबीआई जांच हो. इससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. निष्पक्षता आ जाएगी. पुलिस की कार्रवाई पर भरोसा नहीं है.
किसने हिंसा की?
सांसद ने आगे कहा कि वहां पर झूठ फैलाने की कोशिश हो रही है. देखो आरोपी तो भाग गए, जो निर्दोष लोग थे, उनको पुलिस ने दबोच लिया. सामंती लोग दलित के घर में घुसे और उनके साथ दुर्व्यवहार किया. उनका अपमान किया. कान पकड़वाया और जेल भेज दिया है. दलितों के घर में पुलिस की लोग शराब पी के जाते हैं. बच्चों के साथ छेड़खानी करते हैं. लोगों में भय का माहौल है. जहां तक यह जा रहा है कि मेरे पार्टी का झंडा लेकर थाने में लोगों ने हंगामा किया है तो झंडा तो कहीं से खरीदा जा सकता है. केवल झंडा रहने से आदमी के अंदर सिद्धांत नहीं आते हैं. अंबेडकरवादी कभी हिंसा नहीं करते हैं. अंबेडकरवादी संयमित होते हैं. अनुशासन वाले होते हैं. हमारा तो बच्चा-बच्चा संविधान को मानता है. इसलिए तो मांग कर रहा हूं कि किसने हिंसा की? इसकी जांच हो. कौन सा पुलिस वाला शामिल है या पार्टी के नेता शामिल है? किसके घर से पत्थर आया है? नीले पटके लेकर कौन आया है? निर्दोष जो युवा थे, उनको उकसाया गया. पुलिस की मौजूदगी में मोटरसाइकिल को जलाया गया.
कोई अपना सर खुद फोड़ता है?
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि पुलिस के साथ सैकड़ों लोग थे. उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई, जिनके हाथ में पत्थर और तलवार और डंडे दिख रहे हैं. जो दलितों को मार रहे हैं, उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई. कौशांबी के लोगों को जब मैंने आग्रह किया कि आप अनुशासन के साथ घर जाएं तो वह चले गए. पुलिस मामला शांत करने का काम नहीं कर रही थी, भड़काने का काम कर रही थी. उनका सारा ध्यान जो अन्याय हुआ था, उससे हटाना था. आप चेक करवा लीजिए, जो मोटरसाइकिल टूटी है, वह हमारी है. हमारे लोग जिनके पास खाने की रोटी नहीं है, वह अपनी मोटरसाइकिल जलाएंगे. क्या कोई अपना सर खुद फोड़ता है? हमारे लोग जब पुलिस के डर से भाग गए तो षड्यंत्रकारी लोगों ने मोटरसाइकिल जलाई भी और तोड़ी भी.
हिंसा के पीछे एक षड्यंत्र है
सांसद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में यह हालत है कि जाति पूछ कर पिटाई भी करते हैं. अभी अलीगढ़ में क्या हुआ था? पुलिस ने कितनी बुरी तरह मारा था? जान के लाली पड़ गए थे. उसमें केवल तीन चार लोग ही गिरफ्तार हुए थे. यहां कितने गिरफ्तार हुए हैं, 50-60 से ज्यादा. वहां पर पुलिस ने पीड़ितों के खिलाफ ही मुकदमा दायर कर लिया था. पुलिस क्या कर रही है यह किसी से छुपा हुआ नहीं है.
चंद्रशेखर ने कहा कि पुलिस ने तो मुझे भी बंद कर दिया था, लेकिन कोर्ट ने मुझे रिहा कर दिया. एनआरसी के समय भी पुलिस ने बंद कर दिया था, लेकिन फिर कोर्ट ने रिहा किया. हिंसा के पीछे एक षड्यंत्र है. हमारी छवि खराब करने की. सरकार आगे बढ़ क्यों नहीं जांच करती है? जो अन्याय हो रहा है, क्या दलित समाज इसे भूल जाएगा. पिछड़े और बहुजन समाज में इसको लेकर काफी गुस्सा है. एक बात याद रखिएगा, दलित समाज अपने साथ हुए अन्याय को कभी भूलता नहीं है. मेरे पास पूरे देश के दलित समाज से फोन आ रहा है. सब में गुस्सा है. वह यह कह रहे हैं कि आप जहां भी कहो, हम इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे. हम इस लड़ाई को संवैधानिक तरीके से लड़ेंगे. अनुशासन के साथ लड़ेंगे. हमें उच्च और सर्वोच्च न्यायालय पर भरोसा है.