'कभी रुकेंगे नहीं, समझौता नहीं करेंगे', BSP की फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी गयीं मायावती

लोकसभा और राज्यसभा की पूर्व सदस्य मायावती ने जून, 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और चार बार उन्होंने यह दायित्व संभाला.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का एक बार फिर सर्वसम्मति से मंगलवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया. बसपा ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी. बयान के अनुसार बसपा की केंद्रीय कार्यकारी समिति तथा अखिल भारतीय स्तर तथा राज्य पार्टी इकाइयों के वरिष्ठ पदाधिकारियों और देशभर से चुने गए प्रतिनिधियों की एक विशेष बैठक में यह निर्णय लिया गया.

लोकसभा और राज्यसभा की पूर्व सदस्य मायावती ने जून, 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और चार बार उन्होंने यह दायित्व संभाला.

बयान के अनुसार राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व सांसद सतीश चंद्र मिश्र ने मायावती के सर्वसम्मति से पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा की. चुनाव के बाद अपने संक्षिप्त संबोधन में मायावती ने छोटे-बड़े सभी कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों को आश्वासन दिया कि पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए वह हर तरह का त्याग करने के लिए हमेशा की तरह तैयार हैं.

मायावती ने कहा, ''करोड़ों दलितों और बहुजनों के हित में बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान में जनहित और जनकल्याण के वास्तविक उद्देश्य को साकार करने के लिए सत्ता की मास्टर चाबी हासिल करने के लिए अथक संघर्ष किया जाएगा.''

उन्होंने कहा कि दलित-बहुजनों को अपनी शक्ति पर निर्भर रहना सीखना होगा अन्यथा वे ठगे जाते रहेंगे और लाचारी एवं गुलामी का जीवन जीने को मजबूर होंगे.

केन्द्र की राजग सरकार पर निशाना साधते हए उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद बहुमत से काफी पीछे रही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का रवैया अभी भी स्थिति की मांग के अनुरूप तर्कसंगत और उदार नहीं दिख रहा है, जिसके कारण इसे स्थिर और मजबूत सरकार नहीं कहा जा सकता है.

उन्होंने कहा कि चुनावी हार के बावजूद बसपा निराश नहीं है बल्कि इस उम्मीद के साथ लगातार संघर्ष कर रही है कि एक दिन यह संघर्ष बहुजनों यानी बहुसंख्यक जनता के पक्ष में जरूर फलीभूत होगा. उन्होंने कांग्रेस और भाजपा पर भी निशाना साधते हुए दावा किया कि ये दोनों केंद्रीय दल अल्पसंख्यकों और पिछड़े समुदायों के सच्चे हितैषी नहीं हैं.

मायावती ने इस बैठक से एक दिन पूर्व सोमवार को कहा था कि सक्रिय राजनीति से उनका संन्यास लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता.

बसपा की इस बैठक को लेकर मीडिया में यह अटकलें लगायी जा रही थी कि मायावती अपने भतीजे आकाश आनन्‍द का कद बढ़ा सकती हैं. इसके अलावा उनके संन्यास लेने की भी अटकलें थीं.

Advertisement

बसपा प्रमुख ने सोमवार को ''एक्‍स'' पर लिखा था, '' बहुजनों के आम्बेडकरवादी कारवां को कमजोर करने की विरोधियों की साजिशों को विफल करने और बाबा साहेब डा. भीमराव आम्बेडकर एवं कांशीराम जी की तरह ही मेरी जिन्दगी की आखिरी सांस तक बसपा के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान आंदोलन को समर्पित रहने का फैसला अटल है.''

बसपा की स्थापना कांशीराम ने 1984 में की थी और मायावती ने भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाई थी. कांशीराम ने 15 दिसंबर 2001 को लखनऊ में एक रैली के दौरान अपने संबोधन में मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था.

Advertisement

कांशीराम के अस्वस्थ होने के बाद मायावती 18 सितंबर 2003 को पहली बार बसपा की अध्यक्ष चुनी गयीं और उसके बाद वह लगातार निर्विरोध अध्यक्ष चुनी जाती रही हैं.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Maharashtra Elections में अब कैश कांड, क्या बदलेगा चुनाव या कुछ करेगा EC? | Election Cafe