'ICU वार्ड में क्षमता से कहीं अधिक बच्चे थे... ', झांसी मेडिकल कॉलेज में आग को लेकर आई रिपोर्ट में क्या-क्या?

झांसी के लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में लगी आग को लेकर सीनियर IAS अफ़सर किंजल सिंह की अगुवाई वाली जांच टीम ने हफ़्ते भर पहले कॉलेज का दौरा किया था. साथ ही इस घटना के समय मौजूद लोगों से बात भी की गई थी. इसके बाद ही ये रिपोर्ट तैयार की गई.

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झांसी के मेडिकल कॉलेज में लगी आग को लेकर आई रिपोर्ट, हुए कई बड़े खुलासे
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में 15 नवंबर को लगी आग की घटना को लेकर अब जांच रिपोर्ट सामने आ गई है. इस रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे किए गए हैं. जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि जिस आईसीयू वार्ड में आग लगने से 10 बच्चों की मौत हो गई थी, वहां क्षमता से कहीं ज्यादा बच्चों को भर्ती किया गया था. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मेडिकल कॉलेज के बच्चा वार्ड में 18 बच्चों को ही एडमिट करने की क्षमता थी लेकिन 15 नंवबर के दिन इस वार्ड में कुल 49 बच्चों का इलाज चल रहा था. इस रिपोर्ट में कई और बड़े खुलासे हुए हैं. आपको बता दें कि इस घटना के सामने आने के बाद यूपी के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ने इस मामले की जांज के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था. इसके लिए डॉयरेक्टर जनरल स्वास्थ्य और चिकिस्ता शिक्षा (हेल्थ एजुकेशन) के नेतृत्व में चार सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई थी. इसी कमेटी ने अब अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. 

सीनियर आईएसए अधिकारी ने तैयार किया है रिपोर्ट

सीनियर IAS अफ़सर किंजल सिंह वाली जांच टीम ने हफ़्ते भर मेडिकल कॉलेज का दौरा करने और घटना के समय मौजूद लोगों से बात करने के बाद रिपोर्ट तैयार की है. सूत्र बताते हैं कि जांच में मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल समेत कुछ डॉक्टरों पर कार्रवाई हो सकती है.आपको बता दें कि अभी तक इस मामले में मेडिकल कॉलेज के किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.जो जांच रिपोर्ट पेश की गई है उसमें कहा गया है कि नियो नेटल यूनिट में क्षमताओं अधिक बच्चे भर्ती थे.क्रिटिकल केयर यूनिट की क्षमता 18 बच्चों की है. आग लगने के समय कुल 49 बच्चे भर्ती थे. जांच में ये भी पाया गया कि कुछ मशीनें एक्सटेंशन वायर से जुड़ी थीं. घटना से पहले भी स्पार्क की शिकायतें आईं थीं लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. 

कई गाइडलाइंस भी जारी की गई हैं

जांच रिपोर्ट में आगे इस तरह की कोई घटनाएं न हों इसके बारे में क्या करना चाहिए, इस पर विस्तार से बताया गया है.आगज़नी की घटनाएं रोकने के लिए गाइडलाइन भी तैयार की गई है.वैसे नेशनल नियो नेटेलॉजी फ़ोरम ने भी इसके लिए पहले ही गाइडलाइन जारी किया था.दिल्ली के अस्पताल में इसी तरह की घटना होने के बाद ऐसा किया गया था.यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक जाँच रिपोर्ट मिलने के बाद दोषी लोगों पर कार्रवाई करने को लेकर फ़ैसला करेंगे. 

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क्या हुआ था उस रात

घटना 15 नवंबर की रात की है. झांसी मेडिकल कॉलेज के आईसीयू वार्ड में एकाएक हुए शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी. आग देखते ही पूरे वार्ड में फैल गई थी और इस आग की चपेट में आने से 10 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी. घटना की जानकारी के मिलने के बाद मौके पर मौजूद पीड़ित परिजनों ने वार्ड की खिड़की के शीशे को तोड़कर अंदर से बच्चों को रेस्क्यू किया था. आग इतनी भयानक की थी उसने कुछ मिनट के अंदर ही पूरे आईसीयू वार्ड को जलाकर राख कर कर दिया था. जिस समय आईसीयू वार्ड में आग लगी थी उस दौरान वहां मेडिकल कॉलेज का कोई स्टॉफ नहीं था. आईसीयू वार्ड का दरवाजा आगे से बंद होने की वजह से आग के बारे में लोगों को कुछ देर बार ही मालूम चल पाया था. इस वजह से भी ज्यादा जानें गई थीं. 

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