उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार देर रात भीषण आग लगने से 10 बच्चों की मौत हो गई जबकि कई गंभीर रूप से झुलस गए. इस घटना की सूचना मिलने के बाद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को झांसी भेजा है. इस घटना ने कई घरों के चिराग बुझा दिए हैं. कई अभिभावकों का दर्द तो इतना है कि उनके बारे में सोचकर ही आप और हम सिहर जाएंगे. जिन अभिभावकों ने अपने लाडले को इस अग्निकांड में खोया है उनमे से ही एक हैं गोरपुरा निवासी कृपाराम.
कृपाराम को जब पता चला कि जिस मेडिकल कॉलेज में उनका लाडला है वहां उसी वार्ड में आग लग गई है तो एक सेकेंड के लिए भी नहीं रुके और बच्चे को बचाने के लिए उस वार्ड में कूद पड़े जहां आग लगी थी. चारों तरफ फैले धुएं और आग की लपटों के बीच उन्होंने अपने बच्चे की परवाह किए बगैर दूसरे बच्चों को उस वार्ड से सुरक्षित निकालना शुरू किया.
इस दौरान उन्होंने अपने बच्चे को भी वार्ड में ढूंढ़ना चाहा लेकिन आग इतनी तेजी से फैल रहा था कि उनके पास अपने लाडले को ढूंढ़ने के लिए ज्यादा वक्त नहीं था. वो इसके बाद भी रुके नहीं उनसे जितना हो पाया उतने बच्चों को टूटी हुई खिड़की से बाहर निकालते रहे.
काफी ढूंढ़ने के बाद भी नहीं मिला कृपाराम को नहीं मिला अपना बेटा
कृपाराम के अनुसार वो इस अग्निकांड के बाद से ही अपने लाडले को तलाश रहे हैं. वो कई बार अस्पातल के चक्कर काट चुके हैं लेकिन उन्हें अभी तक उसका कोई पता नहीं चला है. कृपाराम का कहना है कि उन्होंने कुछ दिन पहले ही इस मेडिकल कॉलेज में अपनी पत्नी को एडमिट कराया था. एडमिट होने के कुछ घंटे बाद ही उनको बेटा हुआ था. बच्चा थोड़ा कमजोर था इसलिए डॉक्टरों ने उसे इस वार्ड में कुछ दिनों के लिए रखा था. उनका कहना है कि अगर उन्हें पता होता कि मेडिकल कॉलेज में समय रहते आग पर काबू पाने की सुविधाओं की कमी है तो वो अपने बच्चे को यहां नहीं रखते.
बच्चे के दिमाग का हुआ था ऑपरेशन, अग्निकांड के बाद हो गया गायब
कृपाराम की तरह ही कई और ऐसे अभिभावक हैं जिनको अब अपने लाडले के मिलने की तलाश है. इन्हीं में से एक हैं पुलवारा निवासी सोनी. सोनी ने कुछ दिन पहले ही अपने लाडले को इस मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था, जहां उसके बेटे के दिमाग का ऑपरेशन हुआ था. दरअसल, डॉक्टरों ने उन्हें बताया था कि उनके बेटे के दिमाग में पानी भर गया है ऐसे में ऑपरेशन करना बेहद जरूरी है. अब इस अग्निकांड के बाद से ही उनका लाडला भी लापता है.
मेडिकल कॉलेज में नहीं है बर्न यूनिट
झांसी के जिस मेडिकल कॉलेज में ये घटना हुई वहां बर्न यूनिट ही नहीं है. पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन 'आदित्य'ने बताया कि इस अस्पताल में बर्न यूनिट ना होने की वजह से जो बच्चे घायल हुए हैं उन्हें पास के दूसरे अस्पताल में ही भर्ती कराया गया है.
दिल्ली हादसे भी नहीं लिया सबक
इस साल जून में दिल्ली में भी एक ऐसी ही घटना सामने आई थी. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में लगी आग में भी 7 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी. इसके बाद प्रशासन ने हर सरकारी और निजी अस्पतालों में फायर सेफ्टि के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए थे. महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज बड़ा चिकित्सा संस्थान है, लेकिन वहां आग को बुझाने के लिए ऐसी कोई व्यवस्था ही नही थी.