भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के पूर्व छात्रों ने संस्थान को 100 करोड़ रुपये की मदद की है. यह योगदान संस्थान के साल 2000 के बैच के छात्रों ने दिए. इस बैच के छात्र अपने सिल्वर जुबली रीयूनियन के लिए संस्थान परिसर में आए हुए थे.इस योगदान को भारत के किसी भी शैक्षणिक संस्थान के किसी भी बैच द्वारा किया गया अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक योगदान है.
क्या कहा है संस्थान के निदेशक ने
आईआईटी कानपुर के 2000 बैच के छात्रों ने अपने अल्मा मेटर को दिए अपने इस योगदान के जरिए संस्थान में मिलेनियम स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी एंड सोसाइटी (MSTAS) की स्थापना को समर्थन देने का प्रस्ताव दिया है. यह घोषणा सिल्वर जुबली रीयूनियन समारोह का प्रमुख आकर्षण रही.इस आयोजन में दुनिया भर से आए पूर्व छात्र परिसर, संकाय और एक-दूसरे से फिर से जुड़ने के साथ-साथ आईआईटी कानपुर के भविष्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए एकत्र हुए.
इस अवसर पर आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल ने कहा,''क्लास ऑफ 2000 द्वारा दिया गया 100 करोड़ रुपये का यह योगदान आईआईटी कानपुर और उसके पूर्व छात्रों के बीच के अटूट संबंध का सशक्त प्रमाण है. इस प्रकार का सहयोग न केवल हमारे शैक्षणिक और शोध पारितंत्र को मजबूत करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी उस संस्थान को कुछ लौटाने के लिए प्रेरित करता है, जिसने उनके जीवन को आकार दिया है."
संस्थान और छात्र का संबंध
वहीं आईआईटी कानपुर के डीन ऑफ रिसोर्स एंड एलुमनाई, प्रोफेसर अमेय करकरे ने कहा,''यह योगदान आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र समुदाय को परिभाषित करने वाली साझेदारी की भावना का उत्कृष्ट उदाहरण है. क्लास ऑफ 2000 ने यह दर्शाया है कि पूर्व छात्रों की सक्रिय भागीदारी कैसे छात्रों, संकाय और समाज के लिए परिवर्तनकारी प्रभाव में बदल सकती है. उनके नेतृत्व और दूरदृष्टि के लिए हम अत्यंत आभारी हैं.''
वहीं 2000 बैच के नवीन तिवारी ने कहा, ''आईआईटी कानपुर ने हमें सिर्फ एक डिग्री नहीं दी, उसने हमें बड़े सपने देखने, धारणाओं पर प्रश्न उठाने और उद्देश्य के साथ निर्माण करने का साहस दिया. यह योगदान हमारी सामूहिक कृतज्ञता का प्रतीक है. यह सुनिश्चित करने का हमारा प्रयास है कि आने वाली पीढ़ियों को सीखने और नेतृत्व करने के समान, बल्कि उससे भी बेहतर अवसर मिलें.''
आईआईटी कानपुर की स्थापना 1959 में की गई थी. इस संस्थान भारत सरकार ने राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया है.
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