- योगी आदित्यनाथ ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने गुरुओं गोरखनाथ, अवैद्यनाथ, दिग्विजयनाथ और गंभीरनाथ की पूजा की और रोट का महाप्रसाद अर्पित किया.
- महंत अवैद्यनाथ ने 1994 में योगी आदित्यनाथ को दीक्षा दी और उन्हें आदित्यनाथ नाम प्रदान किया था, जिससे उनकी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हुई.
- योगी आदित्यनाथ ने 1998 में महंत अवैद्यनाथ के समर्थन से चुनाव जीता और उस समय वे सबसे कम उम्र के सांसद बने थे.
गुरु पूर्णिमा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए खास होती है. वैसे तो योगी जब भी गोरखनाथ धाम जाते हैं अपने गुरुओं की पूजा करते हैं, लेकिन गुरु पूर्णिमा पर यहां खास आयोजन होता है. खुद योगी गोरक्षपीठाधीश्वर हैं तो वो खुद वहां के गुरू हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि योगी आदित्यनाथ के गुरू कौन हैं?
ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ हैं योगी के गुरु
बात 1993 की है. ऋषिकेश में तब योगी आदित्यनाथ (तब अजय सिंह बिष्ट) एमएससी की पढ़ाई करते थे. ये वो दौर था जब राम मंदिर के लिए आंदोलन चल रहा था. योगी आदित्यनाथ गोरखपुर आए और महंत अवैद्यनाथ से मिले. उनसे योग सीखने की इच्छा जाहिर की. इस मुलाकात के बाद योगी वापस ऋषिकेश लौट गए. कुछ महीनों बाद महंत अवैद्यनाथ बीमार पड़े और उन्हें एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया. वहां महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ से मठ में ही रहने को कहा. इसके बाद नवंबर 1993 में योगी आदित्यनाथ स्थाई तौर पर गोरखनाथ मंदिर शिफ्ट हो गए. 15 फरवरी, 1994 को योगी आदित्यनाथ ने महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली. महंत अवैद्यनाथ ने ही उन्हें आदित्यनाथ नाम दिया.
योगी आदित्यनाथ को सौंपी राजनीतिक विरासत
महंत अवैद्यनाथ ना सिर्फ धर्म गुरु थे, बल्कि स्थानीय सांसद भी थे. 1998 में महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़ाया और वो जीते. उस समय वो 26 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के सांसद बने. 2014 में महंत अवैद्यनाथ के निधन के बाद योगी गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर बने.
धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में भूमिका
महंत अवैद्यनाथ ने राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाई, लेकिन उनका सामाजिक क्षेत्र में भी काफी काम है. 1977 में महंत अवैद्यनाथ ने दक्षिण जाकर मंदिरों में दलितों के प्रवेश पर रोक के खिलाफ धरना दिया. उनके धरने के कारण ये फैसला वापस लेना पड़ा.