पाकिस्तान से जाकर पूछिए ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल की ताकत क्या है: योगी आदित्यनाथ

लखनऊ में नई ब्रह्मोस मिसाइल उत्पादन फैसिलिटी शुरू हुई है, जो भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता को मजबूत करेगी. यह यूनिट प्रतिवर्ष 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइलें बनाएगी. 300 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस यूनिट में ब्रह्मोस मिसाइल बनाई जाएगी, जो 290-400 किमी की रेंज और 2.8 मैक की गति से सटीक हमला कर सकती है.

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लखनऊ:

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को वर्चुअल माध्यम से लखनऊ में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल उत्पादन यूनिट का उद्घाटन कर दिया है. इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक समेत कई नेता मौजूद रहे. इस दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, "आपने ‘ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल की एक झलक देखी होगी. अगर नहीं देखी तो पाकिस्तान के लोगों से ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत के बारे में पूछिए. पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि आगे से आतंकवाद की कोई भी कार्रवाई युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी. आतंकवाद की समस्या का समाधान तब तक नहीं हो सकता है, जब तक हम इसे पूरी तरह से कुचल नहीं देते. आतंकवाद को कुचलने के लिए हम सभी को पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक स्वर में लड़ना होगा. आतंकवाद कभी भी प्यार की भाषा नहीं अपना सकता. उसे उसी की भाषा में जवाब देना होगा. ऑपरेशन सिंदूरट के जरिए भारत ने पूरी दुनिया को संदेश दिया है."

दरअसल, लखनऊ में नई ब्रह्मोस मिसाइल उत्पादन फैसिलिटी शुरू हुई है, जो भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता को मजबूत करेगी. यह यूनिट प्रतिवर्ष 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइलें बनाएगी. 300 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस यूनिट में ब्रह्मोस मिसाइल बनाई जाएगी, जो 290-400 किमी की रेंज और 2.8 मैक की गति से सटीक हमला कर सकती है. यह मिसाइल भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के संयुक्त उद्यम, ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की गई है. इसे जमीन, समुद्र या हवा से लॉन्च किया जा सकता है और यह "फायर एंड फॉरगेट" सिस्टम पर काम करती है.

इसके अलावा, यूनिट हर वर्ष 100 से 150 अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइलें भी बनाएगी. अधिकारियों के अनुसार, ये नए संस्करण एक वर्ष के भीतर डिलीवरी के लिए तैयार हो जाएंगे. इसके अलावा, अगली पीढ़ी की मिसाइल का वजन 2,900 किग्रा से घटाकर 1,290 किग्रा किया गया है और इसकी रेंज 300 किमी से अधिक होगी. इससे सुखोई जैसे लड़ाकू विमान, जो अभी एक मिसाइल ले जाते हैं, तीन मिसाइलें ले जा सकेंगे.

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यह यूनिट 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित रक्षा औद्योगिक गलियारे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. 2021 में इसका शिलान्यास हुआ था और उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके लिए 80 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध करवाई थी. यह यूनिट मात्र साढ़े तीन साल में बनकर तैयार हुई है. बता दें कि उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे में छह नोड्स शामिल हैं, जिनमें लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, आगरा, झांसी और चित्रकूट है. इसका लक्ष्य रक्षा उत्पादन में बड़े निवेश को आकर्षित करना है.

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तमिलनाडु के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा राज्य है, जिसने एक समर्पित रक्षा गलियारा स्थापित किया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा उत्पादन में उसकी भूमिका को और मजबूत करता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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