गिरिजा देवी की वाराणसी में राजकीय सम्मान संग अंत्येष्टि

गिरिजा देवी की मंगलवार को 88 वर्ष की आयु में कोलकाता के अस्पताल में निधन हो गया था. उनके पार्थिव शरीर को गुरुवार को यहां लाया गया.

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शास्त्रीय गायिका पद्मभूषण गिरिजा देवी (फाइल फोटो)
वाराणसी: ठुमरी साम्राज्ञी शास्त्रीय गायिका पद्मभूषण गिरिजा देवी का पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके जन्मस्थान वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर गुरुवार को अंतिम संस्कार किया गया. गिरिजा देवी की मंगलवार को 88 वर्ष की आयु में कोलकाता के अस्पताल में निधन हो गया था. उनके पार्थिव शरीर को गुरुवार को यहां लाया गया. उनके पार्थिव शरीर को पहले संजयनगर में उनके घर पर लाया गया, जहां उनके सैकड़ों प्रशंसकों, अन्य शास्त्रीय गायकों और उनके शिष्यों ने अपने उस्ताद को अंतिम सम्मान देने का प्रयास किया.

उनकी शिष्या रीता देवी और पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने अंतिम संस्कार के लिए ले जाते समय उनकी पसंदीदा ठुमरी 'बाबुल मोरा नैहर छूटा जाए. ' गाया.

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उत्तर प्रदेश पुलिस के एक दल ने दिवंगत हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका को गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया. संकट मोचन मंदिर के पुजारी विशंभरनाथ मिश्रा, राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी, विधायक अवधेश सिंह, कांग्रेस नेता अजय राय और वरिष्ठ नौकरशाहों ने अंतिम संस्कार में भाग लिया.

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दिग्गज गायिका को पद्मश्री (1972) और पद्मभूषण (1989) के अलावा, मध्यप्रदेश सरकार ने तानसेन सम्मान से सम्मानित किया, साथ ही संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1977) से भी सम्मानित किया गया.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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