गाजियाबाद: पेशाब से आटा गूंथकर रोटियां बनाकर खिलाती रही मेड, 8 साल बाद सीसीटीवी से खुला राज

बेशक, घरेलू सहायिका कोई भी अपनी सुविधा के लिए या किसी मजबूरी में ही रखता है, लेकिन गाजियाबाद से खाने में पेशाब मिलाने का ये मामला सोचने को भी मजबूर करता है कि आखिर समाज किस और जा रहा है. ऐसा बदला या मजा जिसके लिए भी इस घटना को अंजाम दिया गया, शर्मनाक है. पिंटू तोमर की रिपोर्ट...

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पेशाब में आटा गूंथकर रोटियां खिलाती थी मेड, ऐसे पकड़ी गई

यूपी के गाजियाबाद में एक मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. एक घर में काम करने वाली घरेलू सहायिका काफी लंबे समय से पेशाब में खाना बनाकर पूरे परिवार को खिलाती रही. ये आगे भी चलता रहता लेकिन लिवर संक्रमण के शक में परिवार ने रसोई में सीसीटीवी लगाया जिसमें ये बात उजागर हुई. पुलिस ने पूरे मामले में एफआईआर दर्ज कर आरोपी महिला को अरेस्ट कर लिया है.  बता दें कि परिवार का स्वास्थ्य सही नहीं चल रहा था. घर के सदस्य पेट और लिवर की बीमारी से ग्रसित हो रहे थे, जिसके बाद खाने में गड़बड़ी और घर में एक चोरी की आशंका के चलते रसोईघर में सीसीटीवी लगाए गए, जिसमें घरेलू सहायिका की करतूत कैद हो गई और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. सीसीटीवी में दिख रहा है कि वह बालकनी का दरवाजा बंद करती है, जो कि किचन से ही लगी हुई थी, फिर एक बर्तन में पेशाब करके उसी से खाना बनाती है.

8 सालों से काम कर रही थी महिला

पीड़ित परिवार ने शिकायत में आरोप लगाए कि घरेलू सहायिका उनके यहां 8 सालों से काम कर रही थी. वह लंबे समय से ऐसा घिनौना काम कर रही थी. ये परिवार थाना क्रॉसिंग रिपब्लिक क्षेत्र की एक सोसाइटी में रहता है. परिवार रियल स्टेट के कारोबार से जुड़ा हुआ था. 

परिवार के लोग लिवर की बीमारी से हो रहे थे ग्रसित

परिवार की ओर से शिकायत में ये भी बताया गया कि कुछ महीनों से परिवार के लोग लिवर की बीमारी से ग्रसित हो रहे थे.परिवार के लोगों ने सोचा संक्रमण है. डॉक्टर को दिखाया लेकिन राहत नहीं मिली. इसके बाद पीड़ित परिवार ने कुछ समय पहले ही अपने घर में सीसीटीवी लगाए, जिसमें दिखा कि वह रसोई के अंदर मूत्र को एक बर्तन में डालकर खाना बना रही है. उसने इसी से आटा गूंदा और पूरे परिवार को रोटी बनाकर खिलाई. इसके बाद परिवार ने इस महिला के खिलाफ केस दर्ज करवाया. 

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बेशक, ये मानवता को शर्मसार करने वाला मामला है. घरेलू सहायिका कोई भी अपनी सुविधा के लिए या किसी मजबूरी में ही रखता है. खाने के लिए वह उस पर पूरा विश्वास करता है. वो भोजन जिससे उसका शरीर चलता है और उसकी आत्मा तृप्त होती है, उसमें भी ऐसी घिनौनी हरकत दुखद है. ऐसी घटनाएं उन घरेलू सहायिकाओं के लिए भी मुसीबत बन जाती है जो कि अपना काम बेहद ईमानदारी से कर रही हैं. वो कहते हैं ना इंसान दो रोटी के लिए संघर्ष करता है, वो भी इस तरह से मिले तो समझ सकते हैं कि इंसान का आगे क्या ही होगा. ये घटना सोचने के लिए भी मजबूर करती है कि अगर घरेलू सहायिका किसी किस्म के बदले या मजे के लिए भी ऐसा कर रही थी, तो ये बदला कितना खतरनाक था, जो लंबे समय तक इस परिवार के जहन से नहीं निकल पाएगा.
 

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