रामपुर सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर 2007 और 2008 की मध्य रात्रि में हुए आतंकी हमले के मामले में एडीजे थर्ड की अदालत ने सजा सुनाई है. यह मुकदमा पिछले 11 साल 10 महीने से अदालत में चल रहा था जिसमें 56 से अधिक गवाहों को प्रॉसीक्यूशन में पेश किया तमाम सबूत और दलीलें पेश किए जिनके आधार पर अदालत में फैसला सुनाते हुए 4 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है. एक व्यक्ति को उम्र कैद और एक को 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है जबकि 2 लोगों को बरी कर दिया गया.
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यह मामला 31 दिसंबर 2007 और 1 जनवरी 2008 की मध्य रात्रि काहे जब रामपुर के सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर मध्यरात्रि में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें सात सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे और एक रिक्शा पुलर मारा गया था. 11 साल 10 महीने के इंतजार के बाद आज दोषियों को सजा सुना दी गई. इनमें से दो पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर के निवासी हैं. जिनका नाम है इमरान शहजाद और फारुख इसके अलावा शरीफ और सलाहुद्दीन को भी सजा-ए-मौत दी गई है. जबकि जंग बहादुर को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है इसके अतिरिक्त मुंबई निवासी फहीम अंसारी को 10 साल की सजा सुनाई गई है.
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जिसके सीधे तौर पर सीआरपीएफ आतंकी हमले में सरिता नहीं पाई गई बल्कि जब इस को पुलिस ने गिरफ्तार किया था जो इसके पास पाकिस्तान के पेशावर निर्मल और कई आपत्तिजनक दस्तावेज और नक्शे वगैरह बरामद हुए थे इस मामले में इस को 10 साल की सजा सुनाई गई. जबकि दो अन्य लोग जिन पर इन को पनाह देने का आरोप था. कौशल खान और गुलाब खान इन दोनों को अदालत ने बरी कर दिया.
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