दिल्ली में 10 नवंबर को हुए बम ब्लास्ट का कनेक्शन यूपी से भी मिला है.इसके बाद से यूपी पुलिस का आतंकवादी विरोधी दस्ता (एटीएस) सक्रिय है. एटीएस प्रदेश में चल रहे मदरसों की जानकारी जुटा रही है. एटीएस ने प्रदेश के कई जिलों के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों से मदरसों की जानकारी मांगी है. इसमें मदरसों में पढ़ाने वाले लोगों, पढ़ने वाले छात्रों, उनके वित्तीय स्रोत आदि की जानकारी मांगी गई है. इसकी खबरें आने के बाद देवबंद के उलेमाओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि इस्लाम ना तो आतंकवाद को बढ़ावा देता है और न किसी पर जुल्म करने की इजाजत देता है. उनका कहना है कि मदरसों में इस्लाम की तालीम (शिक्षा)दी जाती है.
मदरसों में क्या पढाया जाता है
देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने बताया कि इस्लाम ना तो आतंकवाद को बढ़ावा देता है और न किसी पर जुल्म करने के लिए कहता है. उनका कहना था कि दुनिया में जितने भी मदरसे हैं, उनमें इस्लाम की तालीम दी जाती है. उनका कहना था कि इस्लाम इंसान तो दूर जानवर तक को भी तकलीफ देने के लिए मना करता है. उन्होंने कहा कि अगर कोई ऐसा शख्स है जो दूसरों को नुकसान पहुंचता है, उसे इस्लाम में बुरा समझा जाता है. उन्होंने कहा कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि इस्लाम को आतंकवाद से जोड़कर क्यों देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह रवैया सरासर गलत है.
मदरसों की जांच-पड़ताल के सवाल पर मौलाना ने कहा कि हम इन सुरक्षा एजेंसियों का स्वागत करते हैं, वह आएं और जांच करें की इन मदरसों में आखिर हो क्या रहा है. उन्होंने कहा कि जब-जब वतन पर कोई भी आंच आई है तो मदरसों के इन छात्रों ने ही अपनी जान कुर्बान दी है. उन्होंने कहा कि जब अंग्रेज जब इस मुल्क पर जुल्म ढाया जा रहा था तो इन्हीं मदरसों के छात्रों ने अपना खून बहाकर वतन के लिए लड़ाई लड़ी थी, इसीलिए मदरसों को आतंकवाद से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.
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