उत्तर प्रदेश में मंगलवार को 46 आईएएस और 27 पीसीएस अधिकारियों के ट्रांसफर्स हुए. इसमें दस जिलों के जिलाधिकारी भी शामिल हैं. कल ही यूपी में स्पेशल इंटेंसिव रिव्यू यानी एसआईआर की प्रक्रिया की भी शुरुआत हुई. ऐसे में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू होने के बाद बड़े स्तर पर हुए अधिकारियों के ट्रांसफर पर कांग्रेस ने सरकार पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. वहीं कांग्रेस के आरोपों पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सफाई देकर दावा किया कि आरोप सही नहीं हैं.
कांग्रेस ने यूपी सरकार पर क्या आरोप लगाए हैं
यूपी में एसआईआर शुरू होने के बाद बड़े स्तर पर हुए आईएएस और पीसीएस अधिकारियों के ट्रांसफर पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए. कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह में 'एनडीटीवी' से कहा कि चुनाव आयोग की घोषणा के बाद यूपी सरकार ने अधिकारियों के ट्रांसफर करके नियमों का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि दस जिलों के डीएम समेत दो दर्जन एसडीएम के ट्रांसफर्स से सरकार की नीयत पर सवाल खड़े होते हैं.
पूर्व विधायक और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने चुनाव आयोग पर बीजेपी से मिलीभगत के आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग को इस मामले में खुद संज्ञान लेकर इन ट्रांसफर को स्थगित करना चाहिए लेकिन वो ऐसा नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग और बीजेपी गलबहियां कर रहे हैं. आरोप लगाया गया कि जब एसआईआर की प्रक्रिया के बाद ट्रांसफर किए गए तो चुनाव आयोग स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है?
अधिकारियों के ट्रांसफर पर कांग्रेस की आपत्ति पर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) नवदीप रिणवा ने बताया कि एमएलसी चुनाव की वजह से यूपी में ट्रांसफर पर रोक थी. यूपी सरकार ने लिखित में चुनाव आयोग से ट्रांसफर करने की अनुमति मांगी थी. आयोग की तरफ से 28 अक्टूबर तक ट्रांसफर करने को कहा गया था. ऐसे में मंगलवार को ट्रांसफर किए गए. उन्होंने कहा अधिकारियों के ट्रांसफर की अनुमति चुनाव आयोग से पहले से मिली हुई थी.
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