जिन्‍ना वाली सोच दफ्न कर देंगे... 'वंदे मातरम' मामले पर बोले CM योगी

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने अगर उस समय मोहम्मद अली जौहर को अध्यक्ष पद से बेदखल करके वंदे मातरम के माध्यम से भारत की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता, तो भारत का विभाजन नहीं होता.

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सीएम योगी बोले... राष्ट्रीय गीत के प्रति सम्मान का भाव होना चाहिए
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  • CM योगी आदित्यनाथ ने राज्य के सभी विद्यालयों में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम का गायन अनिवार्य करने का निर्णय लिया
  • मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर वंदे मातरम का विरोध करने का आरोप लगाते हुए इसे भारत के विभाजन का कारण बताया है
  • CM योगी ने मोहम्मद अली जौहर द्वारा वंदे मातरम के विरोध का इतिहास और कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति पर भी सवाल उठाए
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गोरखपुर:

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' का अनादर करने का आरोप लगाते हुए राज्य के सभी विद्यालयों में इसका गायन अनिवार्य किए जाने का ऐलान किया है. उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद अली जौहर पर वंदे मातरम का विरोध करने का आरोप लगाया और कहा कि इस पार्टी ने यदि वंदे मातरम के माध्यम से भारत की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता, तो देश का विभाजन नहीं होता. सीएम योगी ने कहा है कि अगर देश में कोई दोबारा जिन्ना पैदा होने की कोशिश करता है, तो उसे यही जिंदा दफन कर देंगे.

राष्ट्रीय गीत के प्रति सम्मान का भाव होना चाहिए

गोरखपुर में सोमवार को 'एकता यात्रा' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 'वंदे मातरम राष्ट्रीय गीत के प्रति सम्मान का भाव होना चाहिए. उत्तर प्रदेश के हर विद्यालय और हर शिक्षण संस्थान में हम इसका गायन अनिवार्य करेंगे.' उन्होंने कहा कि इससे उत्तर प्रदेश के हर नागरिक के मन में भारत माता के प्रति अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव जागृत हो सकेगा.

वंदे मातरम के समय उठ जाते थे...

आदित्यनाथ ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, 'कुछ लोगों के लिए आज भी भारत की एकता और अखंडता से बढ़कर उनका मत और मजहब हो जाता है. उनकी व्यक्तिगत निष्ठा महत्वपूर्ण हो जाती है. वंदे मातरम के विरोध का कोई औचित्य नहीं है.' मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा, 'वंदे मातरम के खिलाफ विषवमन हो रहा है. जिस कांग्रेस के अधिवेशन में 1896-97 में स्वयं गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने पूरे वंदे मातरम का गायन किया था और 1896 से लेकर 1922 तक कांग्रेस के हर अधिवेशन में वंदे मातरम का गायन होता था, लेकिन 1923 में जब मोहम्मद अली जौहर कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो वंदे मातरम का गायन शुरू होते ही वह उठकर चले गए. उन्होंने वंदे मातरम गाने से इनकार कर दिया. वंदे मातरम का इस प्रकार का विरोध भारत के विभाजन का दुर्भाग्यपूर्ण कारण बना था.'

...तो भारत का विभाजन नहीं होता

आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने अगर उस समय मोहम्मद अली जौहर को अध्यक्ष पद से बेदखल करके वंदे मातरम के माध्यम से भारत की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता, तो भारत का विभाजन नहीं होता.  उन्होंने दावा किया, 'बाद में कांग्रेस ने वंदे मातरम में संशोधन करने के लिए एक कमेटी बनाई. 1937 में रिपोर्ट आई और कांग्रेस ने कहा कि इसमें कुछ ऐसे शब्द हैं, जो भारत माता को दुर्गा के रूप में, लक्ष्मी के रूप में, सरस्वती के रूप में प्रस्तुत करते हैं, इनको संशोधित कर दिया जाए.'
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय गीत धरती माता की उपासना का गीत है और हम सब के संस्कार हैं कि धरती हमारी माता है और हम सब इसके पुत्र हैं और पुत्र होने के नाते अगर मां के सम्मान में कहीं कोई आंच आती है, तो हमारा दायित्व बनता है कि हम उसके खिलाफ खड़े हों. उन्होंने कांग्रेस पर हमले जारी रखते हुए कहा, 'लेकिन कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति दुर्भाग्य से 1947 में देश के विभाजन का कारण भी बनी और आज भी हम सब यह मानते थे कि जो लोग भारत के अंदर हैं वे सभी भारत के प्रति निष्ठावान होकर भारत की एकता और अखंडता के लिए कार्य करेंगे, लेकिन जब अखिल भारतीय स्तर पर वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजन प्रारंभ हुए तो फिर वही स्वर फूटना प्रारंभ हो गए.'

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने फिर से विरोध करना प्रारंभ कर दिया. उन्होंने कहा कि यह वही लोग हैं जो लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के कार्यक्रम में शामिल नहीं होते, लेकिन जिन्ना (पाकिस्तान के कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना) को सम्मान देने के किसी कार्यक्रम में शर्मनाक तरीके से शामिल होते हैं. संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क ने हाल ही में कहा था कि किसी भी मुसलमान को राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम गाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसके कुछ शब्द उनके धर्म के उपदेशों के अनुरूप नहीं हैं. आदित्यनाथ ने इसी बयान पर तंज करते हुए कहा कि जो लोग भारत के महापुरुषों और क्रांतिकारियों का अपमान करते हैं वह एक तरह से उन अलगाववादी ताकतों के विश्वास को बढ़ाने का काम करते हैं जिनके कारण भारत की एकता और राष्ट्रीयता को चुनौती मिलती है.

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