अयोध्या जमीन विवाद : एक परिवार ने लगाया आरोप, ट्रस्ट को बेची गई जमीन उनके पुरखों के वक्फ की

वक्फ की बताई जा रही इस जमीन को खरीदने-बेचने वाले हरीश पाठक का अयोध्या का घर धोखेधड़ी के मामले में कुर्क है. उस पर सरकारी ताला लगा है. वो एक बकरी खरीदने पर कुछ दिन में दो बकरी खरीदने की योजना चलाते थे. उनके खिलाफ हुई एफआईआर में उन पर आरोप है कि वो निवेशकों की हजारों बकरियां और लाखों रुपये लेकर फरार है.

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अयोध्या की जमीन से जुड़ा एक और विवाद आया सामने
अयोध्या:

अयोध्या में राम जन्मभूमि ट्रस्ट की खरीदी जमीन में एक और विवाद जुड़ गया है. अयोध्या के एक परिवार का कहना है कि ट्रस्ट को बेची गई ये जमीन उनके पुरखों के वक्फ की है. हरीश पाठक ने इसे गलत तरीके से ट्रस्ट को बेचा है. जबकि 2018 में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड इसे वक्फ की जमीन न होने का सर्टिफिकेट भी दे चुका है. उनका कहना है कि वो इसे हाईकोर्ट में चैलेंज करेंगे. राम जन्मभूमि ट्रस्ट की खरीदे गए खूबसूरत बाग के साथ तमाम बदसूरत विवाद जुड़ते जा रहे हैं और सबसे पुराना विवाद ये है कि दावा है कि ये जमीन हाजी फकीर मोहम्मद वक्फ की है जो 1924 में वक्त की गई थी. यह वक़्फ़ अलल-औलाद है. इसमें उनके वंशज जमीन का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन बेच नहीं सकते. इसे बाद में बेचने पर मुकदमेबाजी हुई और अब उनके वारिस बड़ी अदालत में इसे चुनौती देना चाहते हैं.

राम जन्मभूमि ट्रस्ट को बेचे गए इन बागों पर अभी भी वाहिद अहमद और उनके भाई अपने कब्जे का दावा करते हैं. वह बाग में एक चौकीदार से भी मिलते हैं जो उनके लिए बाग की रखवाली करता है. वे कहते हैं कि ये जमीन उनके पूर्वज फकीर मोहम्मद ने वक्फ की थी. उनका इल्जाम है कि इसे बेचने पर रोक के बावजूद उनके खानदान के कुछ लोगों ने इसे बेइमानी से हरीश पाठक को बेच दिया और हरीश पाठक ने धोखे से इसे ट्रस्ट को बेच दिया है. 

फकीर मोहम्मद के खानदान से वाहिद अहमद ने बताया कि हमें तो नहीं लगता कि ट्रस्ट के लोग इसमें  इस तरह का काम करेंगे क्योंकि ये बहुत बड़ी आस्था के साथ जुड़ा हुआ मामला है और अयोध्या का मामला है. अयोध्या का जुड़ाव भगवान राम से रहा है. इस तरीके से उस मजहब को मानने वाले ऐसा नहीं करेंगे. इसमें जो बिचौलिया है, प्रोपर्टी डीलर है, उन लोगों के द्वारा ये फ्रॉड किया गया है.

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ये बाग अभी भी वाहिद के दिल में बसते हैं. उनका कहना है कि 2017 में जब उनके रिश्तेदारों ने हरीश पाठक को बेची थी जब उन्होंने उसे चैलेंज किया और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने उन्हें लिखकर दिया कि वक्फ के कानूनी सलाहकार ने जांच कर बताया है कि ये जमीन हाजी फकीर मोहम्मद और मुसम्मत बख्तावर बीबी के वक्फ अलल-औलाद की है, जिसे उन्होंने 1924 में वक्फ किया था. वक्फनामे में इसका जिक्र है और ये वक्फ की दफा 37 में दर्ज है. वाहिद का इल्जाम है कि इसे बेचने वाले उनके रिश्तेदारों ने बाद में कुछ गड़बड़ कर वक्फ बोर्ड से लिखवा दिया कि ये वक्फ की जमीन नहीं है, जबकि उनके पास 1924 में जमीन को वक्फ करने के सारे दस्तावेज मौजूद हैं.

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अब आगे क्या करेंगे के सवाल पर फकीर मोहम्मद के खानदान से संबंध रखने वाले वाहिद अहमद ने बताया कि अब इसको चैलेंज करेंगे सर. ये कोरोना की वजह से थोड़ी देर हो गई है. वकीलों से हमारी बात हो गई है. बहुत जल्दी हम लोग इसे हाईकोर्ट में चैलेंज करेंगे. ये जो जफर फारुकी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कहा है कि नहीं है, उसको हम चैलेंज करेंगे.

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वक्फ की बताई जा रही इस जमीन को खरीदने-बेचने वाले हरीश पाठक का अयोध्या का घर धोखेधड़ी के मामले में कुर्क है. उस पर सरकारी ताला लगा है. वो एक बकरी खरीदने पर कुछ दिन में दो बकरी खरीदने की योजना चलाते थे. उनके खिलाफ हुई एफआईआर में उन पर आरोप है कि वो निवेशकों की हजारों बकरियां और लाखों रुपये लेकर फरार है. उनकी फर्म में बकरी का इंवेस्टमेंट करने वाले राम सागर चौधरी ने भी उन पर केस किया है.

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गोंडा के किसान राम सागर चौधरी ने बताया कि कहा था कि 42 महीने के बाद आपको डबल करके दूंगा, लेकिन जब 42 महीने बाद फैजाबाद गए तो कंपनी भी बंद करवा दिए थे और हम लोगों को गाली भी दिए. फिर हमने कप्तान साहिब के यहां जाकर समस्या बताई तो किसी तरह मुकदमा तो लिख गया लेकिन गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई है.
 

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