लड़की को क्रिकेट मत खिलाओ... मां-बाप ने बताई महिला वर्ल्डकप स्टार दीप्ति शर्मा के संघर्ष की कहानी

भारतीय महिला क्रिकेट टीम के पहली बार विश्व कप खिताब जीतने के पीछे सबसे बड़ा नाम अगर किसी का है, तो वह हैं आगरा की हरफनमौला खिलाड़ी दीप्ति शर्मा. फाइनल मुकाबले में उनके ऐतिहासिक प्रदर्शन ने न केवल भारत को जीत दिलाई, बल्कि उन्हें पूरे टूर्नामेंट का 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' भी चुना गया.

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  • दीप्ति शर्मा ने टीम को पहली बार विश्वकप जीताने में अहम भूमिका निभाई. टूर्नामेंट की प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बनीं
  • फाइनल में दीप्ति शर्मा ने शानदार अर्धशतक बनाया और गेंदबाजी में पांच विकेट लेकर दक्षिण अफ्रीका की टीम को हराया
  • आगरा में दीप्ति शर्मा की उपलब्धि पर परिवार और स्थानीय लोगों ने घर पर जोरदार जश्न मनाया और मिठाईयां बांटीं
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आगरा:

भारतीय महिला क्रिकेट टीम के पहली बार विश्व कप खिताब जीतने के पीछे सबसे बड़ा नाम अगर किसी का है, तो वह हैं आगरा की हरफनमौला खिलाड़ी दीप्ति शर्मा. फाइनल मुकाबले में उनके ऐतिहासिक प्रदर्शन ने न केवल भारत को जीत दिलाई, बल्कि उन्हें पूरे टूर्नामेंट का 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' भी चुना गया. दीप्ति शर्मा का प्रदर्शन पूरे विश्व कप में शानदार रहा, लेकिन फाइनल में उन्होंने जो किया, वह भारतीय क्रिकेट इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है.

वर्ल्ड कप फाइनल की हीरो: दीप्ति शर्मा

फाइनल मुकाबले में दीप्ति शर्मा ने हरफनमौला प्रदर्शन से टीम इंडिया को जीत की दहलीज तक पहुंचाया. उन्होंने बल्लेबाजी में शानदार अर्धशतक पूरा किया, वहीं गेंदबाजी में अपनी फिरकी का जादू दिखाते हुए 5 विकेट लेकर अफ्रीकी टीम की कमर तोड़ दी.  

दीप्ति के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन का असर ताजनगरी आगरा में साफ दिखाई दिया. उनकी शानदार उपलब्धि पर परिवार, रिश्तेदार और स्थानीय लोगों ने उनके घर पर जमकर जश्न मनाया. आतिशबाजी हुई और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दी गई.

बार-बार मंदिर जाकर जीत की दुआ मांग रही थीं मां

दीप्ति शर्मा के घर पर सुबह से ही मैच का बेसब्री से इंतजार हो रहा था. दीप्ति की मां सुशीला शर्मा बार-बार घर के मंदिर में जाकर जीत की दुआएं मांग रही थीं, वहीं पिता श्रीभगवान शर्मा बेटी के संघर्ष के दिनों को याद कर भावुक हो रहे थे.

दीप्ति के क्रिकेटर बनने की शुरुआत को याद करते हुए श्रीभगवान शर्मा ने बताया कि बचपन में जब वह अपने भाई सुमित शर्मा के साथ खेल के मैदान पर जाती थी, तभी उनकी रुचि दिखाई देने लगी थी. एक दिन जब बॉल दीप्ति के पास आई और उन्होंने थ्रो किया, जो सीधे विकेट पर लगा, उसी दिन सुमित ने दीप्ति को क्रिकेटर बनाने का सपना देख लिया. 

दीप्ति के भाई ने ही उन्हें कोचिंग देना और ट्रेनिंग देना शुरू किया. शुरुआती दिनों में समाज और रिश्तेदारों के ताने भी सुनने पड़े कि "लड़की को क्रिकेट मत खिलाओ," लेकिन परिवार मजबूती से दीप्ति के साथ खड़ा रहा और उनके सपनों को पंख दिए.

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मां ने कहा: "हनुमान जी ने दुआ सुनी"

दीप्ति की मां सुशीला शर्मा ने बताया कि दीप्ति शुरू से ही क्रिकेट को पसंद करती थी और परिवार ने हमेशा उसे खेलने दिया. उन्होंने यह भी बताया कि दीप्ति हनुमान जी की बहुत बड़ी भक्त हैं, रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करती हैं. "मैने मंदिर में दुआ मांगी थी कि देश की बेटियां जीत जाएं और भगवान ने हमारी दुआ सुन ली, बेटियां जीत गईं. घर में खुशी का माहौल है. जब दीप्ति आगरा आएगी तो और बड़ा जश्न होगा." 

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