- आगरा न्यायालय ने बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय की हत्या में पत्नी और साले को आजीवन कारावास की सजा सुनाई
- ससुर बिजेंद्र रावत को सबूत नष्ट करने के आरोप में सात साल की जेल की सजा दी गई है
- सचिन उपाध्याय का शव 12 अक्टूबर 2023 को मिला था, जिसमें चोटों और जलने के निशान मिले थे
आगरा के बहुचर्चित बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय हत्याकांड में कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया. यह मामला इसलिए सुर्खियों में रहा क्योंकि एक पत्नी ही अपने पति की हत्यारिन निकली. आगरा न्यायालय ने इस नृशंस हत्याकांड के लिए मृतक की पत्नी और साले को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि ससुर को सबूत नष्ट करने के आरोप में 7 साल की जेल हुई है.
क्या था पूरा मामला?
थाना ताजगंज क्षेत्र में 12 अक्टूबर 2023 को बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय का शव बरामद हुआ था. शुरुआत में इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की गई, लेकिन शव पर मिले चोटों और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद हत्या का एंगल सामने आया. मृतक सचिन के पिता केशव देव (वादी) ने पुलिस को बताया कि उनके बेटे की हत्या किसी और ने नहीं, बल्कि उसकी पत्नी प्रियंका, साले कृष्णा रावत और ससुर (कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष) बिजेंद्र रावत ने मिलकर की है.
बेरहमी की हद: गर्म प्रेस से जलाया
कोर्ट में पेश की गई जानकारी के अनुसार, आरोपियों ने सचिन को बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. मृतक के पिता केशव देव ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने सचिन को गर्म प्रेस से भी जलाया था और बाद में शव को ठिकाने लगाने की फिराक में थे, लेकिन मौका नहीं मिला. सचिन की शादी 2015 में वकील बिजेंद्र रावत की बेटी प्रियंका से हुई थी. शादी के बाद से ही पारिवारिक विवाद चल रहा था, क्योंकि पत्नी प्रियंका सचिन पर परिवार से अलग रहने का दबाव बनाती थी.
कोर्ट का फैसला: आजीवन कारावास और 7 साल की सजा
15 अक्टूबर को आगरा न्यायालय ने इस हत्याकांड में 18 गवाहों की गवाही सुनने के बाद फैसला सुनाया.पत्नी प्रियंका और साला कृष्णा रावत दोनों को हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. ससुर बिजेंद्र रावत को सबूत नष्ट करने का दोषी करार दिया गया और 7 साल के कारावास की सजा सुनाई गई. कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद तीनों दोषियों को जेल भेज दिया गया.
'फांसी होनी चाहिए थी': मृतक के पिता
न्यायालय के फैसले के बाद मृतक सचिन के पिता केशव देव ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. पिता केशव देव ने वकील अवधेश शर्मा के साथ मीडिया से बात करते हुए कहा, "जवान बेटे की बेरहमी से हत्या की गई और शव को ठिकाने लगाना चाह रहे थे, इसका अपराध बहुत बड़ा है. इन्हें फांसी होनी चाहिए थी." यह फैसला आगरा के चर्चित हत्याकांडों में से एक है, जिसने एक बार फिर रिश्तों के नाजुक और क्रूर पहलू को उजागर किया है.