राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश पुलिस हर दो घंटे में बलात्कार का एक मामला दर्ज करती है, जबकि राज्य में हर 90 मिनट में एक बच्चे के खिलाफ अपराध की सूचना दी जाती है. गुरुवार को जारी की गई एनसीआरबी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2018 में बलात्कार के 4,322 मामले दर्ज किए गए थे. राज्य में महिलाओं के खिलाफ 59,445 अपराध दर्ज किए गए हैं, जिनमें रोजाना 62 मामले सामने आए हैं. यह 2017 में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है, जब कुल 56,011 अपराध दर्ज किए गए थे.
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बच्चों के मामलों में, 2017 में 139 के मुकाबले 2018 में 144 लड़कियों के बलात्कार के मामले सामने आए थे. NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में महिलाओं के साथ हुए अपराधों में लखनऊ सबसे शीर्ष पर रहा है, जहां महिलाओं के साथ अपराध के 2,736 मामले दर्ज किए गए. इसी तरह लखनऊ में बच्चों के खिलाफ 19,936 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें रोजाना 55 मामले दर्ज हुए. उत्तर प्रदेश में साल 2018 में दहेज के मामले में सबसे अधिक 2,444 हत्याएं दर्ज की गईं. हालांकि, इसमें 2017 के मुकाबले 3 प्रतिशत की कमी देखी गई. यूपी में 2017 में दहेज के कारण हत्या के 2,524 मामले दर्ज किए गए थे.
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ हुए अपराधों में भी वृद्धि दर्ज की गई है. 2018 में 454 अपराध दर्ज किए गए, जो 2017 के मुकाबले 12 प्रतिशत अधिक है. 2017 में 129 की तुलना में 2018 में लगभग 131 बुजुर्गों की हत्या की गई. वरिष्ठ नागरिकों द्वारा रिपोर्ट की गई डकैती की घटनाओं में 2018 में 15 और 2017 में 14 घटनाओं के साथ मामूली वृद्धि दर्ज की गई.
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उत्तर प्रदेश के एडीजी असीम अरुण ने कहा कि हाल ही में वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की गई है, जिसका नाम 'सवेरा' है. उन्होंने कहा, ''किसी भी प्रकार के उत्पीड़न का सामना करने वाला कोई भी वरिष्ठ नागरिक 112 नंबर पर कॉल करके यूपी पुलिस से मदद ले सकता है''. उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2019 से यूपी की इस हेल्पलाइन से 1 लाख से अधिक बुजुर्ग जुड़े हैं.
राज्य में 2018 में साइबर अपराध के मामलों में भी वृद्धि देखी गई. 2018 में लगभग 6,280 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए, जो 2017 की तुलना में 26 प्रतिशत अधिक हैं. हालांकि, उत्तर प्रदेश पुलिस ने रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों को गलत बताया है. यूपी पुलिस ने आधिकारिक बयान में बताया, ''प्रदेश में बलात्कार के मामले 3,946 हैं न कि 4,322. 2017 की तुलना में, 2018 में बलात्कार के मामलों की संख्या वास्तव में 7 प्रतिशत की कमी आई है''. इस बीच, डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि अपराध के आंकड़ों को राज्य की आबादी के संदर्भ में देखा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक लोग रहते हैं और इस वजह से अपराध के आंकड़े स्वाभाविक रूप से अन्य राज्यों की तुलना में अधिक होंगे. हमने अपराध की जांच के लिए कई उपाय किए हैं. ब्लाइंड स्पॉट को खोजने के लिए हमारी आपातकालीन हेल्पलाइन पर कड़ी निगरानी रखी जाती है और अगर कोई भी पुलिस अधिकारी सही से काम करते हुए नहीं पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है." उन्होंने कहा कि हम आम आदमी और पुलिस के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए बीट कांस्टेबल प्रणाली को फिर से शुरू कर रहे हैं.