कहते हैं कि अगर आप पूरी शिद्दत और मेहनत के साथ अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करते हैं तो आप किस्मत की रेखाओं को भी बदल सकते हैं. ऐसी ही कहानी है बलिया के रहने वाले प्राइमरी टीचर सौरभ सिंह की. सौरभ को हाल ही में घोषित हुए उत्तर प्रदेश पीसीएस 2016 के परिणामों में आठवां स्थान मिला है.
सौरभ के नाना का सपना था कि उनका नाती अध्यापक न बनकर रह जाए बल्कि कुछ बड़ा मुकाम हासिल करे. सौरभ आज भी अपने नाना की बताई गई बातों को नहीं भूले हैं. आज जब उन्होंने वो मुकाम हासिल कर लिया है तब उन्हें अपने नाना की कमी और महसूस हो रही है. सौरभ का मानना है कि इस एग्जाम में सफल होने के लिए आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस बेहद जरूरी है इसलिए उन्होंने इतना अभ्यास किया है कि आज उनकी उंगलियों में गड्ढे हो गए हैं. पर ये गड्ढे इस बात का प्रमाण हैं कि सफलता हासिल करनी है तो दर्द तो सहना ही होगा.
सौरभ युवा पीढ़ी को एक बात जरूर कहना चाहते हैं कि अब आप जहां हैं वहां रहकर तैयारी कर सकते हैं. साथ ही साथ हमें कभी संसाधनों की कमी का बहाना नहीं करना चाहिए क्योंकि इंटरनेट के इस दौर में हर चीज़ आप के पास मौज़ूद है और उनकी मदद से आप घर बैठकर अच्छे से तैयारी कर सकते हैं.
टाइम मैनेजमेंट को सौरभ सफल होने के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं. वे नियमित छह-सात घंटे पढ़ते थे और ज्यादा से ज्यादा लिखने की प्रैक्टिस करते थे. सौरभ ने तैयारी नौकरी के साथ की है और वो अपनी सफलता का श्रेय अपने स्कूल के प्रिंसिपल और स्टाफ को भी देना चाहते हैं जिन्होंने उन्हें उनके लक्ष्य को पाने के लिए हर मुमकिन मदद की.
सौरभ ने आज SDM बनकर अपने स्कूल, शहर और माता पिता का नाम रोशन किया है और साथ ही साथ छोटे शहर में रहकर तैयारी कर रहे छात्रों को भी एक नया जोश और उम्मीद की किरण दी है कि सफलता पाना मुश्किल है परन्तु नामुमकिन नहीं है, अगर लक्ष्य और मेहनत सही दिशा में हो.