- उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के भिनगा जिला अस्पताल में 13 वर्षीय नाबालिग बच्ची ने नवजात को जन्म दिया है
- बच्ची अपनी दृष्टिहीन नानी के साथ रहती थी और किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा उसके शारीरिक शोषण का आरोप है
- अस्पताल के डॉक्टरों ने बच्ची के पेट दर्द के इलाज के दौरान उसकी प्रसव की सूचना पुलिस को दी
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के जिला संयुक्त चिकित्सालय भिनगा में आज एक अत्यंत चौंकाने वाला और संवेदनशील मामला सामने आया है. यहां एक 13 साल की नाबालिग बच्ची ने एक नवजात को जन्म दिया है, जिसके बाद ज़िले में हड़कंप मच गया है और महिला सशक्तिकरण तथा नारी सुरक्षा के दावों पर प्रश्नचिह्न लग गया है.
दृष्टिहीन नानी और लड़के ने उठाया नाजायज़ फ़ायदा
मिली जानकारी के अनुसार, यह 13 वर्षीय मासूम बच्ची अपनी दृष्टिहीन नानी के साथ उसके घर पर रहती थी. आरोप है कि इसी का नाजायज फायदा उठाकर किसी अज्ञात व्यक्ति ने मासूम बच्ची के साथ घिनौना अपराध किया और उसका शारीरिक शोषण किया, जिसके परिणामस्वरूप वह बच्ची गर्भवती हो गई और आज उसने ज़िला अस्पताल भिनगा में एक बच्चे को जन्म दिया.
पुलिस और प्रशासन में मचा हड़कंप
डिलीवरी के बाद जिला संयुक्त चिकित्सालय भिनगा के डॉक्टर ने फौरन इसकी सूचना पुलिस को दी. अब पुलिस और महिला कल्याण विभाग की टीम की 'आंखें खुली हैं' और वे मामले की जांच में जुट गई हैं. घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी की तलाश शुरू कर दी थी.
CMS डॉक्टर राजपाल सिंह ने बताया कि बच्ची पेट दर्द के इलाज के लिए जिला अस्पताल आई थी, लेकिन पेट दर्द दूसरे कारणों से हो रहा था. फौरन उसे गाइनिकॉलजिस्ट से दिखाया गया, जहां कुछ ही देर में उस मासूम ने एक बच्चे को जन्म दिया. उन्होंने पुष्टि की कि जच्चा-बच्चा दोनों अभी सुरक्षित हैं और स्थिति सामान्य बनी हुई है.
आरोपी गिरफ्तार, मुकदमा दर्ज
इस मामले में क्षेत्राधिकारी (CO) भारत पासवान ने बताया कि परिजनों की तहरीर और CMS के द्वारा जानकारी दिए जाने के बाद आरोपी के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और अब उसे अदालत में पेश किया जाएगा.
सुरक्षा के ढोल पर सवालिया निशान
यह घटना जिले में महिला सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है. 13 साल की बच्ची का मां बनना, कहीं न कहीं श्रावस्ती पुलिस द्वारा महिला सुरक्षा के 'ढिंढोरा पीटने' और 'दूर के ढोल सुहावने' वाली मिसाल को कायम करने की ओर इशारा कर रहा है. ज़िले में नाबालिग बच्चियों का सुरक्षित न होना, पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवालिया निशान खड़े कर रहा है. मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है.