Gold-Silver Rates Today: सोने-चांदी की कीमतों में जारी उतार-चढ़ाव के बीच कमोडिटी ट्रेडर्स की अच्छी कमाई हो रही है. सोने-चांदी के भाव में तेजी के बाद जिन्होंने गोल्ड-सिल्वर में निवेश कर रखा था, उनमें से बड़ी संख्या में लोग प्रॉफिट बुक कर रहे हैं. हाल की रैली के बाद ट्रेडर्स ने जैसे ही प्रॉफिट बुकिंग की ओर रुख किया, MCX यानी मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोमवार के कारोबारी दिन सोना-चांदी की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई. स्पॉट मार्केट में कमजोर मांग के बीच ये गिरावट दर्ज की गई. हालांकि, अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने और इस हफ्ते अमेरिकी फेड के ब्याज दरों में कटौती को लेकर निवेशकों की उम्मीद ने गिरावट को सीमित कर दिया. शुरुआती कारोबार में एमसीएक्स पर सोने की फरवरी वायदा कीमतें 0.04% की गिरावट के बाद 1,30,409 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रही थीं. वहीं, एमसीएक्स पर सिल्वर की मार्च वायदा कीमतें 1% की गिरावट के बाद 1,81,600 रुपये प्रति किलोग्राम पर बनी हुई थीं.
क्या भाव चल रहा सोना-चांदी?
IBJA यानी इंडियन बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन के मुताबिक, 24 कैरेट सोने का भाव 1,28,592 रुपये के करीब चल रहा है. वहीं, 22 कैरेट सोने की कीमत 1,17,790 रुपये/10 ग्राम के आसपास बनी हुई है. चांदी की कीमतें 1,78,210 रुपये/किलो के करीब है. बता दें कि खबर लिखे जाने तक IBJA ने नई कीमतें अपडेट नहीं की है.
क्या सलाह दे रहे हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट्स ने कहा, 'MCX गोल्ड एक उभरते चैनल पैटर्न में बना हुआ है और वर्तमान में 1,30,300– 1,30,400 रुपये प्रति 10 ग्राम के जोन के आसपास ट्रेड कर रहा है, जिसे 1,32,250 रुपये के आसपास रिजेक्शन का सामना पड़ा है, जो कि अब प्रतिरोध का काम कर रहा है.'
पिछले सेशन में एक मजबूत तेजी के बाद यह गिरावट देखी जा रही है, जब सोना वायदा 0.30% की बढ़त के बाद 1,30,462 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ और चांदी वायदा लगभग 3% बढ़कर 1,83,408 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुआ, जो दिन के दौरान 1,85,234 रुपये के नए रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पंहुच गया था.
सोने-चांदी के भाव में इतना उतार-चढ़ाव क्यों?
कीमती धातुओं की कीमतें अत्यधिक अस्थिर बनी हुई हैं क्योंकि अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) मीटिंग के नतीजे इस हफ्ते 10 दिसंबर को आएंगे और निवेशकों को नतीजों का इंतजार है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक अपने नीतिगत निर्णय की घोषणा ऐसे समय में करने जा रहा है जब इकोनॉमिक इंडीकेटर मिश्रित संकेत दे रहे हैं.
पर्सनल कंजप्शन एक्सपेंडीचर (पीसीई) प्राइस इंडेक्स इस वर्ष अगस्त और सितंबर में 0.3% बढ़ा, जो कि फेड का मुद्रास्फीति माप है. सालाना आधार पर यह अगस्त के 2.7% से बढ़कर सितंबर में 2.8% हो गया, जो मुद्रास्फीति के थोड़े बढ़े होने का संकेत देता है. इसी समय ब्याज दरों में बढ़ती उम्मीदों के चलते अमेरिकी डॉलर पर भी दबाव बना हुआ है. डॉलर इंडेक्स छह हफ्तों के निचले स्तर 98.76 के के आसपास बना हुआ है.














