कितनी मात्रा में शराब पीकर गाड़ी चलाने से नहीं फंसेगे आप? इंश्योरेस क्लेम पर क्या होगा असर? जानें सब कुछ

Drunk and Drive limit in India 2024: कानून एक निश्चित मात्रा में शराब की इजाजत दे सकता है, लेकिन इंश्योरेंस पॉलिसियों में अक्सर एक ऐसा क्लॉज शामिल होता है जो दुर्घटना के समय ड्राइवर के शराब या नशीली दवाओं के प्रभाव में पाए जाने पर उसे कवरेज से बाहर कर देता है.

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Drink Driving Laws In India: 1988 के मोटर व्हीकल एक्ट में शराब या नशीली दवाओं के नशे में गाड़ी चलाने पर दंड का प्रावधान है.
नई दिल्ली:

ये तो आपको पता है कि शराब पीकर गाड़ी चलाने की इजाजत कानून नहीं देता है.लेकिन क्या कानून कुछ मात्रा में शराब पीकर गाड़ी चलाने की इजाजत देता है? इसका जवाब हां है. हालांकि,  खून में अल्कोहल की मात्रा (Blood alcohol content - BAC) की लिमिट क्या है? अगर आप शराब के नशे में किसी एक्सीडेंट का शिकार हो जाते हैं तो क्या तब भी इंश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो कार चलाते समय आपके मन में आ सकते हैं. तो चलिए आज इन सवालों का जवाब जानते हैं. आइए जानते हैं कि भारत में नशे में गाड़ी चलाने पर कानून क्या कहता है और इंश्योरेंस क्लेम पर इसका क्या असर पड़ता है.

प्राइवेट व्हीकल ड्राइवर के लिए BAC की लिमिट

भारत में, निजी वाहन चालकों यानी प्राइवेट व्हीकल ड्राइवर (Private vehicle drivers) के लिए कानूनी तौर पर BAC की लिमिट 0.03% (प्रति 100 मिलीलीटर खून में 30 मिलीग्राम अल्कोहल) निर्धारित है. वहीं कमर्शियल व्हीकल ड्राइवर (Commercial vehicle drivers) के लिए यह लिमिट शून्य है, जिसका मतलब है गाड़ी चलाते समय उनके खून में बिल्कुल भी अल्कोहल नहीं होना चाहिए. अगर आपका BAC (Blood alcohol content) लीगल लिमिट के भीतर है, तो तकनीकी रूप से आपको कानून की नजर में DUI (driving under the influence) के तहत गाड़ी चलाने वाला नहीं माना जाता है.

हालांकि, जब मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी (Motor Insurance Policies) की बात आती है, तो भारत में ज्यादातर पॉलिसी, चाहे कॉम्प्रिहेंसिव हों या थर्ड पार्टी की, आम तौर पर उनमें "Driving under the influence" क्लॉज शामिल होता है.

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कानून एक निश्चित मात्रा में शराब की इजाजत दे सकता है, लेकिन इंश्योरेंस पॉलिसियों में अक्सर एक ऐसा क्लॉज शामिल होता है जो दुर्घटना के समय ड्राइवर के शराब या नशीली दवाओं के प्रभाव में पाए जाने पर उसे कवरेज से बाहर कर देता है.

यानी भले ही आप लीगल BAC लिमिट के भीतर हों, अगर अल्कोहल को एक्सीडेंट में योगदान देने वाली वजह माना जाता है तो इंश्योरेंस कंपनी आपके क्लेम को रद्द कर सकती हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि कानूनी सीमा के दायरे में होने के बावजूद भी शराब गाड़ी चलाते समय आपके जजमेंट, रिएक्शन टाइम और निर्णय लेने की क्षमता पर असर डाल सकती है.

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1988 का मोटर व्हीकल एक्ट

1988 के मोटर व्हीकल एक्ट में शराब या नशीली दवाओं के नशे में गाड़ी चलाने पर दंड का प्रावधान है. पकड़े जाने पर दंड के तौर पर जुर्माना, ड्राइविंग लाइसेंस का निलंबन और गंभीर दुर्घटनाओं के मामलों में जेल भी हो सकती है.अगर पुलिस को जांच में पता चलता है कि आप नशे में गाड़ी चला रहे थे, यहां तक कि कानूनी सीमा के नीचे या उससे भी कम, तो यह आपके इंश्योरेंस क्लेम को प्रभावित कर सकता है. क्योंकि बीमा कंपनियां अक्सर पुलिस रिपोर्ट और सबूतों की समीक्षा करते हैं यह निर्धारित करने के लिए कि एक्सीडेंट की वजह शराब थी कि नहीं.

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