पहाड़ों की गोद में बसे देहरादून, नैनीताल, मसूरी, अल्मोड़ा, रानीखेत, कोटद्वार जैसे शहरों में घर, मकान, जमीन या फ्लैट लेना अब पहले की तुलना में मंगा हो गया है. उत्तराखंड सरकार ने प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन महंगा कर दिया है. सरकार ने रजिस्ट्रेशन शुल्क को 25 हजार रुपये से बढ़ाकर अधिकतम 50 हजार रुपये कर दिया गया है. करीब 10 वर्ष बाद सरकार ने रजिस्ट्री चार्ज बढ़ाया है. इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है. अधिसूचना के मुताबिक, राज्य सरकार ने स्टांप विभाग की ओर से लिए जाने वाले रजिस्ट्रेशन शुल्क बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया है. अधिसूचना जारी होते ही ये नए नियम लागू हो गए हैं.
अब घर, जमीन या फ्लैट लेना हुआ महंगा
उत्तराखंड राज्य सरकार के इस फैसले के बाद घर और जमीन खरीदने वालों पर एकमुश्त अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा. कोई भी राज्यवासी या फिर दूसरे राज्यों के लोग जो उत्तराखंड के पहाड़ों में बसने की इच्छा रखत हैं, अब उनकी जेब पहले की अपेक्षा ज्यादा ढीली होगी.
वित्त सचिव दिलीप जावलकर के हस्ताक्षर से जारी अधिसूचना के बाद सोमवार शाम से ही पूरे उत्तराखंड में संशोधित शुल्क दरें लागू हो गईं. महानिरीक्षक निबंधन कार्यालय ने सभी जिलों को नए रजिस्ट्रेशन शुल्क के अनुसार रजिस्ट्री करने के निर्देश दिए हैं. बता दें कि ये शुल्क स्टांप विभाग द्वारा विभिन्न गतिविधियों और प्रशासनिक कामों में उपयोग किया जाता है. नए निर्देश लागू होने से दस्तावेजों के पंजीकरण की प्रक्रिया में भी कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं.
ऐसे समझें, दूसरे राज्यों से कितना कम चार्ज
सहायक महानिरीक्षक निबंधन अतुल कुमार शर्मा ने स्पष्ट किया है कि नए शुल्क लागू होने के बावजूद, उत्तराखंड में संपत्ति पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) शुल्क अभी भी कई अन्य राज्यों की तुलना में कम है. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश में पंजीकरण शुल्क संपत्ति के कुल मूल्य का एक प्रतिशत है, और इसकी कोई अधिकतम सीमा (Maximum Limit) नहीं है. इसका मतलब है कि संपत्ति की कीमत बढ़ने के साथ शुल्क भी बढ़ता जाता है. इसके विपरीत, उत्तराखंड में अधिकतम शुल्क सीमा 50,000 रुपये तय की गई है. यह अधिकतम सीमा संपत्ति खरीदारों को कुछ राहत प्रदान करती है.














