बीमा या कहें इंश्योरेंस नाम तो सभी जानते हैं. काम भी जानते हैं. लेकिन जो नहीं जानते वह है इसका सही इस्तेमाल. बीमा लेने के लिए बहुत से लोग जल्दबाजी करते हैं और जल्दबाजी के कदम अमूमन बिना सूझबूझ के होते हैं और तो और किसी की सलाह पर होते हैं. अकसर देखा जाता है कि नौकरी लगने के तुरंत बाद तो युवा अपने खर्चों में परेशान रहते हैं. ब्रैंडेड कपने और लाइफस्टाइल में डूब जाते हैं सैलरी उसी में खत्म हो जाती है. लेकिन नौकरी के कुछ ही साल में यह समझ आने लगता है या कहें किसी की देखादेखी यह लगने लगता है कि कुछ सेविंग करनी चाहिए. जैसे ही बचत की बात समझ में आती है तो यह दिखाई देता है कि इनकम टैक्स कट रहा है. इसे कटने से कैसे बचाना है.
अकसर हम अपने खर्चों पर काबू करने के बजाय बचत के नाम पर केवल यह देखते हैं कि किस तरह से हम जो टैक्स कटवा रहे हैं उसे सरकार के पास जाने से रोका जाए और कुछ दिन और मौज मस्ती की जिंदगी जी जाए... खैर यह सभी के जीवन में यह दौर आता है और वह कुछ साल इस दौर के जीवन का मजा लेता है. भारतीय युवाओं में चंद लोग ही ऐसे होते हैं जो 20-21 की साल में बचत का मतलब समझ जाएं और उसी हिसाब से अपने भविष्य की तैयारी कर लें.
ऐसा होता नहीं है और देर से ही सही टैक्स बचाने के नाम पर सबसे पहली समझ यही आती है कि वह सरकार को देने से रोका जाए. इसके साथ ही अपने करीबी साथी से इस बारे में चर्चा होती है और वह किसी बीमा एजेंट या कहें इंश्योरेंस एजेंट को बुलाता है और इंश्योरेंस एजेंट सेफ सिक्योर सरकारी कंपनी एलआईसी की एक एनडाउमेंट पॉलिसी के पेपर पर साइन करवाता है और चेक लेकर चला जाता है. कुछ दिन में पैसे कट जाते हैं. ऑनलाइन पॉलिसी के पेपर आ जाते हैं. हार्ड कॉपी एलआईसी के ऑफिस से मिल जाती है. बचत के नाम पर पहला कदम लाखों युवाओं का यही होता है. अब टैक्स में बचत हो रही है.
अब सवाल यह उठता है कि एनडाउमेंट पॉलिसी तो ले ली फिर नाम सुनने में आता है टर्म इंश्योरेंस का... यह क्या बला है. एजेंट ने इसके बारे में बताया नहीं था. समझ में नहीं आता कि टर्म क्यों नहीं लिया और एनडाउमेंट क्यों ले लिया. हम आज आपको यही समझाने का प्रयास करेंगे.
यह तो स्पष्ट है कि बीमा पॉलिसी केवल इसलिए कराई जाती है कि हमें कुछ हो जाए तो हमारे पीछे हमारे घर वालों को कोई दिक्कत न आए और उन्हें इतना पैसा मिले कि वे अपना जीवन आराम से बिता सकें. इस बात पर किसी की मंशा पर शक नहीं किया जा सकता है. लेकिन बस इसी मंशा के साथ यदि एक बात ये समझ ली जाए पैसा सीमित है और उसका रिटर्न भी अच्छा और कवर भी बढ़िया मिले तो ज्यादा अच्छा विकल्प होगा.
टर्म इंश्योरेंस क्यों होता है बेहतर (Term Insurance Vs Endowment Policy)
यहीं पर एंट्री होती है टर्म इंश्योरेंस की. अमूमन लोग यही समझते हैं कि इसे करने पर जो भी पैसा इंश्योरेंस कंपनी को दिया जाता है वह वापस नहीं मिलता. पूरा तो छोड़िए उसका एक हिस्सा भी वापस नहीं मिलता. इसलिए लोग इसे नहीं लेते हैं. वहीं, एनडाउमेंट पॉलिसी में आपका जमा किया पैसा तो वापस मिलता है यदि बीमा कराने वाले को अवधि के दौरन कुछ नहीं हुआ था. साथ ही बोनस भी मिलता है. यानि जो पैसा प्रीमियम के तौर पर दिया गया है वह वापस मिल जाता है और बोनस भी. लोगों को यहां यही समझ आता है और यही समझा दिया जाता है कि आपका पैसा आपको वापस भी मिल जाएगा और बोनस भी यानि आपका फायदा ही फायदा. जहां तक टैक्स में छूट की बात है तो वह दोनों ही पॉलिसी में समान है.
कमीशन का खेल
यह बात जान लें. टर्म इंश्योरेंस में बीमा एजेंट को कमीशन न के बराबर मिलता है. यूलिप में भी कमीशन ज्यादा है. 10-30 प्रतिशत तक कमीशन होता है. 35 प्रतिशत तक भी मिलता है. यह बात साफ है कि एजेंट को अपने लिए भी पैसे चाहिए इसलिए वह आपको यह प्लान ही बेचेगा. हर साल उसे 10 प्रतिशत तक कमीशन मिलता रहेगा जब जब आप प्रीमियम जमा करते रहेंगे.
कम होता है इंश्योरेंस कवर
दूसरी बात यह समझनी चाहिए कि ज्यादा प्रीमियम के बावजूद आपको इंश्योरेंस कवर कम मिलता है. यानि कुछ हादसा होने की स्थिति में आपके परिजन को बीमा के अनुरूप ही पैसा मिलता है लेकिन एनडाउमेंट पॉलिसी में जितना प्रीमियम दिया जाता है उसे हिसाब टर्म की पॉलिसी में कवर ज्यादा मिलता है. यहां तुलना हो रही है.
बीमा लेने का मकसद याद रखें
यहां सवाल उठता है कि बीमा लिया क्यों जाता है... बीमा लिया किसलिए गया था... यदि जवाब केवल टैक्स बचाने की नीयत याद आती तब आप गलत हैं न ही बचत योजना है. बीमा लिया जाता है ताकि आपके परिवार को आपके बाद किसी प्रकार की आर्थिक तंगी का सामना न करना पड़े. इस नेकनीयत के साथ पॉलिसी खरीदी जाती है. यानि कुल मिलाकर केवल एक मकसद होता है इससे परिवार को क्या फायदा मिलेगा.
प्रीमियम की तुलना करें
एनडाउमेंट में और टर्म में प्रीमियम के अनुरूप बात की जाए तो टर्म में कई गुना ज्यादा पैसा आपके बाद आपके परिजनों को मिलता है. समझाने के लिए बताया जा रहा है. इसे वास्तविक आंकड़ा न समझें. हर पॉलिसी वितरक की वेबसाइट है वहां पर जाकर अलग अलग उम्र के लोगों के प्लान की तुलना आप स्वयं कर सकते हैं. मोटा मोटी समझने के लिए जानें... आप 10 हजार देकर एक करोड़ का टर्म प्लान ले सकते हैं. वहीं करीब इसी रकम में केवल 2 लाख तक का एनडाउमेंट बीमा आप खरीदते हैं.
प्रीमियम से बचत संभव
अगर आपका बीमा के लिए बजट 50 हजार सालाना है तब आप समझ सकते हैं कि आप केवल 10-15 लाख की एनडाउमेंट पॉलिसी इतने रुपये में ले सकते हैं. वहीं 20 हजार में आप करीब 2 करोड़ की टर्म पॉलिसी ले सकते हैं. यहां पर आप बीमा के बजट से 30 हजार सालाना की बचत कर रहे हैं. आप चाहें तो इसी पैसे से हेल्थ इंश्योरेंश भी करा सकते हैं. यानि एक जीवन बीमा और एक हेल्थ बीमा. दोनों का लाभ..
बचत से कर लें ये पहला काम
अब यदि आप केवल 10 हजार में हेल्थ बीमा लेते हैं तब भी आपको 20 हजार की अतिरिक्त बजत हो रही है और आप इसका प्रयोग किसी एसआईपी में कर सकते हैं. बाजार के जानकार बताते हैं और आप किसी भी पॉलिसी के रिटर्न और पिछले 20 सालों में की गई एसआईपी के रिटर्न को देखेंगे तो अंतर साफ नजर आएगा. कम से कम की बात भी करें तो आप रिटर्न के मामले में एनडाउमेंट पॉलिसी से 4-5 लाख रुपये ज्यादा का रिटर्न हासिल करेंगे.
बचत से करा लें बेहतर रिटर्न का इंतजाम
बस याद रखें... आप बीमा पॉलिसी में तुरंत वापसी की उम्मीद नहीं रखते. यानि 20 साल तक बिना सवाल प्रीमियम जमा करते जाते हैं वैसे ही एक शानदार एसआईपी का चयन कर आप कमाल का रिटर्न हासिल कर सकते हैं. बाजार में निवेश हो या पॉलिसी लेना हो... पैसा आपका है, समझदारी के साथ ही लगाएं क्योंकि पैसा आपका है, रिस्क आपका है. एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.
कुल मिलाकर टर्म के जरिए आप बीमा, स्वास्थ्य बीमा और साथ में शानदार रिटर्न की योजना भी बना सकते हैं.