लखटकिया हुआ सोना, फिर भी रिटर्न के मामले में रह गया चांदी से पीछे, खरीदें या बेचें? जान लें एक्सपर्ट की राय

'इस साल चांदी में निवेश की मांग तो बढ़ी ही है, साथ में इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर पैनल और मेडिकल जैसी इंडस्ट्री में इसका इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है.'

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  • सोने की कीमतें इस हफ्ते पहली बार 1,07,000 रुपये के रिकॉर्ड स्तर को पार कर गई हैं
  • इस साल सोने ने 35.43% रिटर्न दिया जबकि चांदी ने 41.01% के उच्च रिटर्न के साथ बेहतर प्रदर्शन किया है
  • चांदी की मांग इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर पैनल और मेडिकल उद्योगों में बढ़ने के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक सुधार से बढ़ी है
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Gold vs Silver: सोने की कीमतें इस हफ्ते नए रिकॉर्ड स्तर पर हैं, जिससे आठ दिनों की तेजी देखी गई. सोने की कीमत 1,07,000 रुपये के हाई लेवल को पार कर गई. नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बावजूद, सोने का साल-दर-साल रिटर्न चांदी की तुलना में कम रहा है. दरअसल सोने की तेजी हमेशा न्यूज में रही है, लेकिन चांदी इस साल की असली स्टार साबित हुई. सोने ने इस साल अब तक 35.43% का रिटर्न दिया है, जबकि ब्लूमबर्ग के आंकड़े बताते हैं कि चांदी ने 41.01% के हाई रिटर्न के साथ काफी बेहतर प्रदर्शन किया.

कैसे बढ़ी चांदी की डिमांड?

केडिया एडवाइजरी के अनुसार, "इस साल चांदी में निवेश की मांग तो बढ़ी ही है, साथ में इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर पैनल और मेडिकल जैसी इंडस्ट्री में इसका इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है. इसलिए रिटर्न देने के मामले में सोने से आगे चांदी है. इस इंडस्ट्री मांग के साथ वैश्विक आर्थिक सुधार ने चांदी को एक्सट्रा पावर दी."

सोना तोड़ रहा रिकॉर्ड

वैश्विक और घरेलू कारकों की वजह से सोने की कीमतें अभी तक के हाई लेवल पर पहुंच गई हैं. विश्व में बढ़ते व्यापार तनाव को देखते हुए कई बड़े देश लगातार इसका रिजर्व बना रहे हैं. साथ ही घरेलू निवेशक एक सेफ और लॉन्ग टर्म के लिए अपनी पॉजिशन बना रहे हैं.

क्यों महंगा हो रहा है सोना?

केडिया एडवाइजरी के अनुसार,"जब राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता बढ़ती है, तो निवेशक अमूमन सोने की तरफ रुख कर लेते हैं, जो बाजार में उतार-चढ़ाव से फ्री रहता है. इसके अलावा घरेलू स्तर पर, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के लगातार कमजोर होने से यह मांग और बढ़ गई है.क्योंकि कमजोर रुपया आयात किए सोने को महंगा बना देता है, जिससे घरेलू कीमतें बढ़ जाती हैं.

सेविंग और ग्रोथ के अवसर

एक्सपर्ट एक बैलेंस अप्रोच अपनाने की सलाह दे रहे हैं. लॉन्ग टर्म के निवेशकों के लिए कोई भी गिरावट खरीदारी का अवसर हो सकती है. जबकि शॉर्ट टर्म के निवेशक मौजूदा हाई लेवल पर बेचकर कुछ प्रॉफिट कमा सकते हैं. दुनियाभर के सेंट्रल बैंक सोने को खरीद रहे हैं, इसी वजह से ये एक सेविंग और ग्रोथ के चांस, दोनों के रूप में देखा जा रहा है.

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