- इस खाते का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के लिए म्यूल अकाउंट के तौर पर किया गया था और ड्राइवर को इसकी जानकारी नहीं थी
- म्यूल अकाउंट में अपराधी अवैध धन को जमा कर उसे कई खातों में ट्रांसफर कर असली सोर्स छिपाते हैं
- आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को कमीशन देकर उनके खाते मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल किए जाते हैं
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जाँच में एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक गरीब रैपिडो बाइक ड्राइवर के बैंक खाते से लगभग ₹331 करोड़ का अवैध लेनदेन पकड़ा गया है. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस ड्राइवर को अपने ही खाते के इस्तेमाल की कोई जानकारी नहीं थी.
ED की जाँच में पता चला है कि इस बैंक खाते का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए 'म्यूल अकाउंट' के रूप में किया गया था. इस बड़े अमाउंट का इस्तेमाल एक ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप से कमाए गए काले धन को ठिकाने लगाने और उदयपुर में हुई एक हाई-प्रोफाइल डेस्टिनेशन वेडिंग पर खर्च करने में किया गया था.
यह मामला एक बार फिर से इस सवाल को सामने लाता है कि आखिर यह 'म्यूल अकाउंट' (Mule Account) क्या होता है और अपराधी इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं?
म्यूल अकाउंट क्या है? (Mule Account Explained)
'म्यूल' (Mule) शब्द का हिंदी में मतलब होता है 'खच्चर'. जैसे खच्चर का इस्तेमाल एक जगह से दूसरी जगह सामान ढोने के लिए होता है, वैसे ही 'म्यूल अकाउंट' का इस्तेमाल अवैध पैसे को एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में घुमाने (Transfer) और छिपाने के लिए किया जाता है.
सीधे शब्दों में:म्यूल अकाउंट वह बैंक अकाउंट होता है, जिसका इस्तेमाल अपराधी (जैसे साइबर ठग या मनी लॉन्ड्रर) धोखाधड़ी या अवैध गतिविधियों (सट्टेबाजी, ड्रग्स आदि) से कमाए गए पैसे को वैध (Legal) बनाने के लिए करते हैं.
यह कैसे काम करता है?
- पैसा जमा करना:
अपराधी अवैध रूप से कमाया गया पैसा पहले किसी म्यूल अकाउंट में जमा करते हैं.
- पैसे को घुमाना:
वह इस पैसे को तुरंत और छोटे-छोटे हिस्सों में कई अलग-अलग म्यूल खातों में भेजते हैं, जिससे पैसे के असली सोर्स का पता लगाना जांच एजेंसियों के लिए मुश्किल हो जाता है.
- पैसा निकालना:
आखिर में, इस पैसे को एटीएम, क्रिप्टोकरेंसी (जैसे बिटकॉइन) या डिजिटल पेमेंट गेटवे के जरिए निकाल लिया जाता है.
अपराधियों का निशाना कौन?
साइबर अपराधी और मनी लॉन्ड्रर अक्सर ऐसे लोगों को निशाना बनाते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं और जिन्हें बैंकिंग या डिजिटल फ्रॉड की ज्यादा जानकारी नहीं होती है, मजदूर, किसान, डिलीवरी बॉय या रैपिडो ड्राइवर जैसे गरीब लोग. अपराधी इन लोगों को कमीशन का लालच देते हैं कि वे कुछ समय के लिए अपना बैंक खाता इस्तेमाल करने दें.
- अनजाने में इसका इस्तेमाल
रैपिडो ड्राइवर के मामले की तरह, कई बार तो अकाउंट होल्डर को पता भी नहीं होता कि उसके खाते का गलत इस्तेमाल हो रहा है, क्योंकि जालसाज उसके दस्तावेजों का इस्तेमाल करके खाते को कंट्रोल करते हैं.
अब इस मामले ने साफ कर दिया है कि म्यूल अकाउंट न केवल साइबर फ्रॉड, बल्कि बड़े मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का भी एक अहम हिस्सा बन चुके हैं.














