प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) जल्द ही ‘पुश-पुल' तकनीक वाली पहली अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन (Amrit Bharat Express Train) को अयोध्या से हरी झंडी दिखाएंगे. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने सोमवार को नयी दिल्ली स्टेशन पर इसके कोच और इंजन का निरीक्षण करने के बाद यह जानकारी दी. उन्होंने प्लेटफॉर्म पर करीब आधे घंटे का वक्त बिताया और ट्रेन के इंजन व कुछ डिब्बों का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुत जल्द अयोध्या से इसे हरी झंडी दिखाएंगे.''
यात्रियों की सुविधा और आराम के लिए कई नयी सुविधा शामिल
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नयी ‘पुश-पुल' तकनीक की जानकारी दी, जो उनके मुताबिक ट्रेन के संचालन को अधिक सुरक्षित बनाती है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुविधा और आराम के लिए कई नयी सुविधा शामिल की गई हैं. रेल मंत्री ने कहा कि ट्रेनों को चलाने में दुनिया भर में दो तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है पहली ‘‘वितरित बिजली प्रौद्योगिकी और दूसरी पुश-पुल तकनीक.''
उन्होंने कहा, ''वहीं पुश-पुल तकनीक का मतलब है कि ट्रेन में दो इंजन होते हैं, एक आगे और दूसरा आखिर में. आगे वाला इंजन ट्रेन को खींचता है तो वहीं पीछे वाला इंजन ट्रेन को आगे की तरफ धकेलता है.''
ट्रेन में ‘पुश-पुल' टेक्नोलॉजी शामिल करने के लिए किए गए कई बदलाव
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ट्रेन में ‘पुश-पुल' टेक्नोलॉजी को शामिल करने के लिए कई बदलाव किए गए हैं, जो गति को तेज करने और गति को कम करने में मदद करती हैं. उन्होंने कहा, ''ट्रेन की गति को बेहतर तरीके से बढ़ाना और घटाना उन पुलों, मोड़ों और अन्य स्थानों पर समय बचाने में मदद करेगा, जहां ट्रेनों की गति कम होती है.''
दिल्ली से कोलकाता की दूरी तय करने में इतना कम लगेगा समय
उन्होंने कहा कि अगर अमृत भारत ट्रेन दिल्ली से कोलकाता के बीच चलती है तो दूरी तय करने में पारंपरिक ट्रेन की तुलना में लगभग दो घंटे कम समय लगेगा.
हर महीने इस मॉडल की 20 से 30 ट्रेन की जाएंगी तैयार
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के बाद रेलवे चार से पांच महीने तक ट्रेन का सामान्य परिचालन करेगा और देखेगा कि कहीं कोई तकनीकी दिक्कत तो नहीं है. इसके बाद हर महीने इस मॉडल की 20 से 30 ट्रेन तैयार की जाएंगी.
उन्होंने कहा कि हमने वंदे भारत (Vande Bharat Express Train) के साथ भी यही किया. हमने एक साल तक ट्रेन चलाई और फिर उत्पादकता बढ़ाते हुए इसमें सुधार किया. इसके बाद में चलाई जाने वाली ट्रेनों में सामान्य श्रेणी से लेकर वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी तक की व्यवस्था होगी.