प्याज की बढ़ती कीमतों (Onion prices) पर रोक के लिए सरकार ने कई तैयारियां की हैं. इसके साथ ही सरकार को उम्मीद है कि जल्द की प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगेगा. इससे प्याज की लगातार बढ़ते दाम से परेशान आम लोगों को राहत मिलेगी.वहीं, सरकार इस बात का भी ध्यान रख रही है कि प्याज की कीमत घटने का असर किसानों पर न हो. केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि वह किसानों के हितों की रक्षा के लिए सभी मंडियों से अपने बफर स्टॉक के लिए लगभग दो लाख टन खरीफ प्याज फसल खरीदेगी.
प्याज की घरेलू थोक दरें स्थिर करने के लिए सरकार का खास कदंम
इस कदम के जरिये सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि प्याज की घरेलू थोक दरें स्थिर रहें और प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण इसकी कीमतों में तेज गिरावट न आये. सरकार ने कहा कि बफर स्टॉक का इस्तेमाल खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए किया जाएगा. इससे पहले सरकार ने प्याज की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए आठ दिसंबर को अगले साल 31 मार्च तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
आमतौर पर सरकार रबी प्याज के लंबे समय तक खराब न होने की गुणवत्ता को देखते हुए इसकी खरीद करती है. हालांकि, पहली बार सरकार किसानों के हितों की रक्षा करने और खुदरा बाजारों में कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए खरीफ प्याज फसल की खरीद करेगी.सरकार बफर स्टॉक बनाए रखने एवं घरेलू उपलब्धता को बढ़ावा देने तथा कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए बाजार हस्तक्षेप के लिए प्याज की खरीद कर रही है. सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बफर स्टॉक का लक्ष्य बढ़ाकर सात लाख टन कर दिया है, जबकि पिछले साल वास्तविक स्टॉक तीन लाख टन का ही था.
बफर स्टॉक के लिए किसानों से लगभग 5.10 लाख टन प्याज खरीदा गया
उपभोक्ता मामलों के सचिव के अनुसार, बफर स्टॉक के लिए किसानों से लगभग 5.10 लाख टन प्याज खरीदा गया है, जिसमें से 2.73 लाख टन का बाजार हस्तक्षेप के तहत थोक मंडियों में निपटान किया गया है. उन्होंने कहा कि पिछले 50 दिन में 218 शहरों में खुदरा बाजार में लगभग 20,718 टन प्याज रियायती दरों पर बेचा गया, जबकि खुदरा बिक्री अब भी जारी है.उन्होंने कहा कि बाजार में हस्तक्षेप जारी रहेगा क्योंकि वर्ष 2023 का खरीफ उत्पादन थोड़ा कम होने की उम्मीद है और मौसम के कारण फसल की आवक में भी देरी हो रही है. थोक और खुदरा बाजारों में 5.10 लाख टन बफर प्याज के निपटान के बाद सरकार के पास एक लाख टन प्याज का स्टॉक बचा है.
सरकार ने किसानों को कीमतों में गिरावट से बचाने के लिए इस साल फरवरी में थोड़ी मात्रा में देर से आने वाले खरीफ प्याज की खरीद की थी. उन्होंने कहा कि इस बार बाजार में हस्तक्षेप के लिए पहली बार खरीफ फसल की खरीद की जाएगी.
सरकार ने प्याज निर्यात पर लगाया प्रतिबंध
सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि रबी की अच्छी फसल के कारण इस साल जून तक प्याज की कीमतें नियंत्रण में थीं. हालांकि, जुलाई के बाद, जब प्याज का मौसम नहीं होने के दौरान भंडारित प्याज की खपत की जाती है, तो रबी प्याज की गुणवत्ता और देर से हुई खरीफ बुवाई पर चिंताओं के कारण कीमतें बढ़ने लगीं. उन्होंने कहा कि इसके चलते जुलाई में सरकार ने प्याज निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया. हालांकि, इससे कोई फायदा नहीं हुआ और घरेलू हितों की रक्षा के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा.
प्याज की औसत खुदरा कीमतें घटकर 56 रुपये प्रति किलो हुई
इसके आगे उन्होंने कहा कि प्याज की औसत खुदरा कीमतें आठ दिसंबर को घटकर 56 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई हैं, जो आठ नवंबर को 59.5 रुपये प्रति किलोग्राम थी.उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने सोमवार को कहा था कि सरकार को उम्मीद है कि जनवरी तक प्याज की कीमतें मौजूदा औसत कीमत 57.02 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे आ जाएंगी.