भारत में करोड़पति टैक्सपेयर्स की संख्या बीते एक दशक में 5 गुना बढ़कर 2.2 लाख हुई

असेसमेंट ईयर 24 में 8.6 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न (ITR Filling 2024) जमा हुए थे,इससे पहले असेसमेंट ईयर 22 में यह आंकड़ा 7.3 करोड़ पर था.

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नई दिल्ली:

भारत में करोड़पति टैक्सपेयर्स की संख्या असेसमेंट ईयर (एवाई) 2014 के मुकाबले असेसमेंट ईयर 2024 में पांच गुना बढ़कर 2.2 लाख हो गई है. एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के इकोनॉमिक डिपार्टमेंट की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, बीते एक दशक में टैक्सपेयर्स की संख्या में 2.3 गुना का इजाफा हुआ है. असेसमेंट ईयर 24 में टैक्सपेयर्स की संख्या 8.62 करोड़ थी. साथ ही रिपोर्ट में बताया कि यह आंकड़ा काफी अच्छा है, क्योंकि 10 लाख रुपये से अधिक कमाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. 

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मध्यम वर्ग की आय में भारी इजाफा बीते 10 वर्षों में देखा गया है. असेसमेंट ईयर 24 में यह आंकड़ा 2.5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये था, जो कि असेसमेंट ईयर 14 में 1.5 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये के बीच था. 

असेसमेंट ईयर 24 में 8.6 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न (ITR Filling 2024) जमा हुए थे,इससे पहले असेसमेंट ईयर 22 में यह आंकड़ा 7.3 करोड़ पर था. कुल जमा हुए रिटर्न में से 6.89 करोड़ या 79 प्रतिशत अंतिम तारीख से पहले जमा हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, असेसमेंट ईयर 25 में रिटर्न जमा करने की आखिरी तारीख तक 7.3 करोड़ आईटीआर जमा हुए हैं और मार्च 2025 तक और 2 करोड़ आईटीआर जमा होने की उम्मीद है. इसके साथ कुल आईटीआर की संख्या 9 करोड़ के ऊपर जाने की उम्मीद है. असेसमेंट ईयर 25 में अंतिम तारीख निकल जाने के बाद भरे जाने वाले रिटर्न की संख्या गिरकर 18 से 19 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. 

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कुल मिलाकर, असेसमेंट ईयर 15 की तुलना में असेसमेंट ईयर 24 में 5.1 करोड़ अधिक आईटीआर दाखिल किए गए हैं.सबसे अधिक वृद्धि महाराष्ट्र में दर्ज की गई, उसके बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और तमिलनाडु का स्थान है.रिपोर्ट से आगे बताया गया कि प्रतिशत वृद्धि के मामले में, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड जैसे छोटे राज्यों ने पिछले नौ वर्षों के दौरान दाखिल आईटीआर में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की है.

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वहीं, व्यक्तिगत कर दाखिल करने वालों में महिलाओं की संख्या लगभग 15 प्रतिशत है. केरल, तमिलनाडु, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों में महिला टैक्सपेयर्स की हिस्सेदारी अधिक है.
 

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