प्रॉविडेंट फंड के EPF और PPF और GPF खाते में क्या होता है अंतर, जानें सब कुछ

भारत में कई प्रकार की भविष्य निधि योजनाएं मौजूद हैं - कर्मचारी भविष्य निधि (Employees' Provident Fund या EPF), लोक भविष्य निधि (Public Provident Fund या PPF) और सामान्य भविष्य निधि (General Provident Fund या GPF).

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प्रॉविडेंट फंड योजनाओं के अंतर्गत कर्मियों को हर माह अपने वेतन से एक छोटी-सी रकम PF खाते में जमा करनी होती है, और यही छोटी-छोटी बचत रिटायरमेंट तक खासी बड़ी रकम बनकर उन्हें मिल सकती है...
नई दिल्ली:

भविष्य निधि (यानी Provident Fund या प्रॉविडेंट फंड या PF) योजनाओं का उद्देश्य नौकरीपेशा लोगों को रिटायरमेंट के बाद के जीवन के लिए कुछ रकम जमा कर लेने का मौका देना होता है, जिनमें उन्हें नौकरी पर रहते हुए नियमित रूप से निवेश करते रहना पड़ता है. निवेश की इन रकमों की मदद से सेवानिवृत्ति, यानी रिटायरमेंट के वक्त किसी भी कर्मी को एकमुश्त रकम हासिल हो सकती है. सो, PF योजनाओं का मुख्य मकसद यही होता है कि नौकरी से रिटायर होने के बाद भी उनके वित्तीय सुरक्षा बनी रहे.

प्रॉविडेंट फंड योजनाओं के अंतर्गत कर्मियों को हर माह अपने वेतन से एक छोटी-सी रकम PF खाते में जमा करनी होती है, और यही छोटी-छोटी बचत रिटायरमेंट तक खासी बड़ी रकम बनकर उन्हें मिल सकती है, और यही नहीं, इसके एक हिस्से को कर्मी पेंशन के तौर पर भी हासिल कर सकता है.

वैसे - भारत में कई प्रकार की भविष्य निधि योजनाएं मौजूद हैं - कर्मचारी भविष्य निधि (Employees' Provident Fund या EPF), लोक भविष्य निधि (Public Provident Fund या PPF) और सामान्य भविष्य निधि (General Provident Fund या GPF).

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कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
EPF ऐसी प्रॉविडेंट फंड योजना है, जो सरकारी नौकरी से इतर नौकरी करने वालों के लिए चलाई गई है. इस फंड को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organisation या EPFO) संचालित करता है, जो केंद्र सरकार की ही रिटायरमेंट फंड संस्था है.

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कर्मचारी भविष्य-निधि और प्रकीर्ण उपबन्ध अधिनियम, 1952, यानी Employees' Provident Fund and Miscellaneous Provisions Act, 1952 के तहत प्रत्येक ऐसी कंपनी या कॉरपोरेट संस्था को, जिसके कर्मचारियों की संख्या 20 से अधिक है, अपने कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति लाभ देने ही होते हैं.

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EPFO के मौजूदा नियमों के मुताबिक, प्रत्येक कर्मचारी हर महीने अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते, यानी बेसिक सैलरी और डियरनेस अलाउंस का 12 फीसदी हिस्सा (अधिकतम 15,000 रुपये प्रतिमाह) भविष्य निधि खाते में जमा करता है, और नियोक्ता, यानी एम्प्लॉयर को भी कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12 फीसदी हिस्सा उसी खाते में जमा करवाना पड़ता है.

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नियोक्ता के हिस्से में से 8.33 फीसदी कर्मचारी पेंशन योजना (Employee's Pension Scheme या EPS) में चला जाता है, जबकि शेष 3.67 फीसदी हिस्सा EPF में निवेश किया जाता है. वर्ष 2022-23 के लिए EPF की ब्याज़ दर 8.1 फीसदी है.

कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद इस खाते को पूरी तरह बंद कर सकते हैं, या नौकरी बदलने की स्थिति में PF खाता स्थानांतरित करवाया जा सकता है. वैसे, नौकरी पर रहते हुए भी EPF खाते से आंशिक निकासी संभव है, लेकिन ऐसा कुछ चुनिंदा वजहों से ही किया जा सकता है, जिनमें किसी कर्ज़ को चुकता करना, मकान खरीदना या बनाना, परिवार के सदस्य या सदस्यों का इलाज करवाना जैसे कारण शामिल हैं.

लोक भविष्य निधि (PPF)
PPF योजना अनिवार्य नहीं है, और इसके तहत कोई भी भारतीय खाता खुलवा सकता है, भले ही वह नौकरीपेशा हो या नहीं हो.

इस खाते में हर वित्तवर्ष के दौरान कम से कम 500 रुपये और अधिकतम 1,50,000 रुपये जमा करवाए जा सकते हैं. EPF की तरह PPF खाता रिटायरमेंट पर ही बंद नहीं किया जाता, बल्कि इसे 15 साल के लिए खोला जाता है. वैसे, यदि खाताधारक चाहे, तो इसे पांच-पांच साल के ब्लॉक में बढ़ा (एक्सटेंड) सकता है.

PPF खाता खुलवाने के सातवें वित्तवर्ष से इस खाते से भी आंशिक निकासी संभव है. PPF खाते के लिए ब्याज़ दर केंद्र सरकार हर तिमाही में तय करती है. PPF खातों पर दी जाने वाली मौजूदा ब्याज़ दर 7.1 फीसदी है.

सामान्य भविष्य निधि (GPF)
सामान्य भविष्य निधि योजना, यानी General Provident Fund या GPF, सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए होती है.

सरकार के लिए लगातार एक साल तक काम कर चुके सभी अस्थायी कर्मचारी, सभी स्थायी कर्मचारी, रिटायरमेंट के बाद काम पर रखे गए सभी पेंशनधारक (जो अंशदायी भविष्य निधि, यानी Contributory Provident Fund या CPF में प्रवेश के योग्य नहीं हों) GPF खाता खोल सकते हैं.

प्रत्येक खाताधारक को अपने मासिक वेतन का कम से कम छह फीसदी हिस्सा खाते में निवेश करना पड़ता है. GPF पर मिलने वाले ब्याज़ की दर अक्टूबर-दिसंबर, 2022 की तिमाही के लिए 7.1 फीसदी है.

GPF योजना को केंद्र सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के तहत पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा संचालित किया जाता है.

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