इंश्योरेंस पोर्ट करते समय ध्यान रखें ये बातें, नहीं तो लग जाएगा लाखों का चूना

IRDAI ने साफ आदेश दिया है कि पॉलिसीधारकों को अपनी पॉलिसियों को पोर्ट-इन या पोर्ट-आउट करने के लिए कोई फीस नहीं देनी होगी.

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अगर आप अपनी मौजूदा इंश्योरेंस पॉलिसी प्रोवाइडर से खुश नहीं है और पॉलिसी को दूसरी कंपनी में पोर्ट करना चाह रहे हैं तो ये खबर जरूर पढ़ लें. दरअसल पॉलिसी पोर्ट की सुविधा भारत में साल 2011 में शुरू हो गई थी. कई मामलों में देखा गया था कि पॉलिसी होल्डर प्रीमियम, सर्विस या फिर क्लेम को लेकर कई समस्याओं का सामना कर रहे थे. पोर्ट ना होने की वजह से कई बीमा कंपनियां अपने मन के अनुसार क्लेम प्रोसेस कर रहीं थीं, लेकिन जब से पोर्ट फैसिलिटी शुरू हुई तभी से कंपनियों के बीच में एक अच्छा कॉम्पिटिशन देखने को मिल रहा है. आपको उन बातों के बारे में बताते हैं, जिन्हें आपको पॉलिसी पोर्ट करते समय ध्यान रखने की जरूरत है.

1. क्या किसी पॉलिसी को नया पॉलिसी प्रोवाइडर पोर्ट करने से मना कर सकता है?

किसी पॉलिसी को पोर्ट करना या ना करना सब कुछ नए प्रोवाइडर पर डिपेंड करता है. नई कंपनी पाॉलिसी होल्डर की उम्र, हेल्थ कंडीशन के साथ क्लेम के इतिहास को देखकर फैसला लेती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर बार-बार क्लेम लिया गया तो हो सकता है कि नई कंपनी पोर्ट को स्वीकार करने से मना कर दे.

2. पोर्टिंग प्रोसेस कब से शुरू करें?

अगर आपके पास करेंट में पॉलिसी अभी एक्सपायर नहीं हुई है, तभी आप उसे दूसरी कंपनी में पोर्ट करा सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि पॉलिसी खत्म होने से 30 से 35 दिन पहले ही पोर्ट का प्रोसेस शुरू कर दें. क्योंकि नई कंपनी आपकी हिस्ट्री चेक करेंगी, जिसमें समय लग सकता है. अगर प्रोसेस के दौरान आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी खत्म हो जाती है, तो फिर पोर्ट का कोई फायदा नहीं होगा. साथ ही किसी पॉलिसी को खत्म होने से 60 दिनों पहले तक पोर्ट नहीं करा सकते हैं. 

3. अगर बार-बार कंपनी बदली है तो क्या पॉलिसी पोर्ट करने में समस्या आएगी?

बिल्कुल. अगर आप ने हेल्थ इंश्योरेंस के लिए बार-बार कंपनी बदलती है तो ऐसे में नई कंपनी पोर्ट करने के लिए मना कर सकती है. इसलिए कहा जाता है कि कम से कम 4 साल के लिए कोशिश करें कि कंपनी ना बदली जाए. अगर ऐसा किया जाता है आसानी से माइग्रेशन प्रोसेस को पूरा किया जा सकता है.

4. पोर्ट करते समय क्या कोई एक्सट्रा फीस या प्रीमियम देना होता है?

IRDAI ने साफ आदेश दिया है कि पॉलिसीधारकों को अपनी पॉलिसियों को पोर्ट-इन या पोर्ट-आउट करने के लिए कोई फीस नहीं देनी होगी. हालांकि, आपको नई पॉलिसी के हिस्से के रूप में नए मेडिकल टेस्ट या टैक्स का पेमेंट करना पड़ सकता है.

5. क्या पॉलिसी पोर्ट के बाद नई कंपनी में राइडर्स, नो-क्लेम बोनस जैसी सुविधाएं बरकरार रहती हैं?

जी. बेस पॉलिसी बेनिफिट्स, जैसे इंश्योर्ड अमाउंट, राइडर्स फैसिलिटी, नो-क्लेम बोनस, वेटिंग पीरियड क्रेडिट जैसी सुविधाएं आसानी से ट्रांसफर हो जाती हैं. लेकिन पिछली पॉलिसी से कोई डिस्काउंट या फिर ऐड-ऑन सर्विस जैसे नॉन स्टैंडर्ड फैसिलिटी ट्रांसफर नहीं होती है. इसलिए पॉलिसी पोर्ट करते समय अपने ऐड-ऑन सर्विस के बारे में जरूर ध्यान रखें.  

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