वित्त मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड के प्रयोग के नियमों में बदलाव कर दिया है. इस बदलाव का क्या असर होगा. TCS (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) की दर क्या होगी? यात्रा, होटल बुकिंग के लिए क्या ज़्यादा ख़र्च करना होगा? क्या विदेश में खाना, ख़रीदारी महंगी हो जाएगी? अगर मैं विदेश जा रहा हूं तो मेरे लिया क्या-क्या महंगा हो जाएगा? क्या मेरे स्वास्थ्य, पढ़ाई के ख़र्च पर असर पड़ेगा? क्या इससे मेरी शॉपिंग, सब्सक्रिप्शन्स पर भी असर पड़ेगा? क्या मुझे कैश में ज़्यादा ख़र्च करना चाहिए, इससे फ़ायदा होगा? क्या ट्रेवल कार्ड्स पर भी ये लागू होगा? बाद में मैं टैक्स कैसे वापस ले सकता हूं?
इसी प्रकार के सवालों के जवाब वित्त मामलों के जानकार रवि सुतंजानी ने एनडीटीवी को दिए.
- फिनटेक जानकार रवि सुतंजानी का कहना है कि डेबिट और फॉरेक्स कार्ड पर आप 20 प्रतिशत का टीसीएस (टैक्स कलेक्टटेड एट सोर्स) देना पड़ता था. अब क्रेडिट कार्ड से भी शापिंग, होटल बुकिंग पर 20 प्रतिशत का टीसीएस देना होगा. यह 1 जुलाई से लागू है. अभी 5 प्रतिशत टीसीएस देना होता है. यह 30 जून तक लागू है.
- टीसीएस (टैक्स कलेक्टटेड एट सोर्स) बैंक अपने आप आपकी ओर से सरकार के पास जमा करता है. इसे टैक्स स्लैब के हिसाब से जमा करा सकते हैं. अगर आप रिफंड के लिए एलिजिबल हैं तो वह पैसा वापस आ जाएगा.
- आईएनआर में भारत में किए जा रहे खर्चे पर कोई टैक्स नहीं है. अगर बाहर जाकर फॉरेक्स पर करते हैं तो टैक्स देना होगा.
- एक बात साफ कर दें कि यह 20 प्रतिशत जो अभी लग रहा है उसे टैक्स स्लैब के हिसाब से क्लेम किया जा सकता है.
- एजुकेशन और मेडिकल ट्रीटमैंट के लिए बाहर जाने के नियम में कोई बदलाव नहीं हुआ है. इसमें सावधानी बरतने की जरूरत है.
- विदेशी वेबसाइटों पर इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड पर भारत में शॉपिंग करने के मामले में अबी कुछ कहा नहीं जा सकता है. अभी और स्थिति साफ होने की जरूरत है.
- कुछ अन्य बातों पर अभी स्थिति साफ नहीं है. कुछ दिनों में ये बातें साफ हो जाएंगी.
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड के जरिये विदेशी मुद्रा में किया जाने वाला खर्च भी अब रिजर्व बैंक की उदारीकृत धन-प्रेषण योजना (एलआरएस) के दायरे में आ गया है. वित्त मंत्रालय ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन (चालू खाता लेनदेन) संशोधन नियम, 2023 अधिसूचित करते हुए कहा है कि अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड के जरिये विदेश में किए गए खर्च को भी एलआरएस में शामिल किया जा रहा है.
एलआरएस के तहत एक व्यक्ति रिजर्व बैंक की अनुमति के बगैर भी एक वित्त वर्ष में अधिकतम 2.5 लाख डॉलर की राशि विदेश में भेज सकता है. इस अधिसूचना में एलआरएस को शामिल करने के बाद 2.5 लाख डॉलर से अधिक मूल्य की विदेशी मुद्रा के किसी भी धन-प्रेषण के लिए आरबीआई की मंजूरी लेनी जरूरी होगी.