हाल के कुछ वर्षों में भारत ने डिजिटल पेमेंट सिस्टम में बहुत बड़ी ग्रोथ हासिल की है और इसमें UPI ने क्रांतिकारी भूमिका निभाई है. भारतीय UPI तो अब फ्रांस, यूएई, सिंगापुर, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मॉरीशस समेत 8 से ज्यादा देशों में काम करता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कई देशों में जाकर भारतीय UPI को मान्यता दिलाई, जिसका फायदा विदेशों में रहनेवाले और घूमने जाने वाले भारतीयों को मिल रहा है. भारत के UPI का लोहा मानते हुए अब IMF यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी मुहर लगा दी है. IMF ने ट्रांजैक्शन की मात्रा के आधार पर इसे दुनिया के सबसे बड़े रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम के रूप में मान्यता दी है.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस तथ्य को आईएमएफ की जून 2025 की ‘बढ़ते खुदरा डिजिटल भुगतान (इंटरऑपरेबिलिटी की वैल्यू)' रिपोर्ट में बताया गया था.
सबसे आगे भारतीय UPI
इसके अलावा, एसीआई वर्ल्डवाइड की 'प्राइम टाइम फॉर रियल-टाइम' 2024 रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल रियल-टाइम भुगतान प्रणाली में 49 फीसदी हिस्सेदारी और 129.3 अरब के लेनदेन के साथ यूपीआई वैश्विक सूची में शीर्ष पर है. 14 फीसदी बाजार हिस्सेदारी और 37.4 फीसदी लेनदेन के साथ ब्राजील दूसरे स्थान पर है, जबकि 8 फीसदी बाजार हिस्सेदारी और 20.4 अरब के लेनदेन के साथ थाईलैंड तीसरे स्थान पर है. 6 फीसदी बाजार हिस्सेदारी और 17.2 अरब के लेनदेन के साथ चीन चौथे स्थान पर है.
UPI को बढ़ावा देने के प्रयास
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि छोटे व्यापारियों को यूपीआई सहित डिजिटल भुगतान प्रणालियों को अपनाने में सहायता प्रदान करने के लिए, सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा समय-समय पर विभिन्न पहल की गई हैं.
इनमें कम मूल्य के BHIM-UPI लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोत्साहन योजना और भुगतान अवसंरचना विकास कोष (PIDF) शामिल है, जो टियर-3 से टियर-6 केंद्रों में डिजिटल भुगतान अवसंरचना (जैसे पीओएस टर्मिनल और क्यूआर कोड) की स्थापना के लिए बैंकों और वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों को अनुदान सहायता प्रदान करता है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 31 अक्टूबर, 2025 तक, टियर-3 से टियर-6 केंद्रों में पीआईडीएफ के माध्यम से लगभग 5.45 करोड़ डिजिटल टचपॉइंट स्थापित किए जा चुके हैं. इसके अलावा, वित्त वर्ष 2024-25 तक, लगभग 6.5 करोड़ व्यापारियों के लिए कुल 56.86 करोड़ क्यूआर स्थापित किए जा चुके हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार, आरबीआई और एनपीसीआई ने देश भर में सार्वजनिक सेवाओं, परिवहन और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म सहित सभी व्यवसायों में रुपे और यूपीआई के माध्यम से डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की पहल की है.














