दिल्ली के वाहन मालिक ध्यान दें... वैध PUC सर्टिफिकेट नहीं हुआ तो घर पर आएगा 10,000 रुपये का नोटिस

अधिकारियों ने रविवार को कहा कि दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग उन वाहन मालिकों को नोटिस भेजना शुरू कर सकता है जिनके पास वैध पीयूसी प्रमाण पत्र नहीं हैं.

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अधिकारी ने कहा कि वर्तमान में, 13 लाख दोपहिया और तीन लाख कारों सहित 17 लाख से अधिक वाहन बिना वैध पीयूसी के चल रहे हैं
नई दिल्ली:

दिल्ली में बिना वैध प्रदूषण सर्टिफिकेट के गाड़ी चलाने वाले वाहन मालिकों की मश्किलें बढ़ सकती है. अधिकारियों ने रविवार को कहा कि दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग उन वाहन मालिकों को नोटिस भेजना शुरू कर सकता है जिनके पास वैध पीयूसी प्रमाण पत्र नहीं हैं. साथ ही अधिकारियों ने कहा कि अगर माण पत्र प्राप्त नहीं होंगे तो 10,000 रुपये के चालान वाहन मालिकों को देने होंगे. उन्होंने कहा कि विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए अभियान तेज करेगा कि बिना प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाण पत्र वाले वाहन शहर की सड़कों पर न चलें.ॉ

अधिकारी ने कहा कि वर्तमान में, 13 लाख दोपहिया और तीन लाख कारों सहित 17 लाख से अधिक वाहन बिना वैध पीयूसी के चल रहे हैं. विभाग की तरफ से कहा गया है कि "विभाग पीयूसी प्रमाण पत्र की समाप्ति के बाद वाहन मालिकों को उनके घरों पर नोटिस भेजने के लिए एक प्रणाली पर काम कर रहा है. यदि वे वैध प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं करते हैं, तो 10,000 रुपये के जुर्माना का चालान भी उनके घर पहुंच जाएगा."  केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के अनुसार, प्रत्येक मोटर वाहन (बीएस-I/बीएस-II/बीएस-III/बीएस-IV के साथ-साथ सीएनजी/एलपीजी पर चलने वाले वाहनों सहित) के लिए एक वैध पीयूसी प्रमाणपत्र होना आवश्यक है.

हालांकि, चार पहिया BS-IV वाहनों की वैधता एक वर्ष और अन्य वाहनों के लिए तीन महीने है. पीयूसी प्रमाणीकरण को वास्तविक समय बनाया गया है और वाहन पंजीकरण डेटाबेस के साथ एकीकृत किया गया है. अधिकारियों ने कहा कि डिजिटल सेवा को बढ़ा कर पीयूसी प्रमाणीकरण की विश्वसनीयता में सुधार किया है और आवश्यक दंडात्मक कार्रवाई के लिए प्रदूषणकारी वाहनों की पहचान करने में मदद की है. मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार वैध पीयूसी प्रमाण पत्र के बिना पकड़े जाने पर, वाहन मालिकों को छह महीने तक की कैद या 10,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों देना पड़ सकता है.अधिकारियों ने कहा पिछले साल परिवहन विभाग द्वारा पीयूसी मानदंड को सख्ती से लागू करने के कारण, 60 लाख से अधिक प्रमाण पत्र जारी किए गए थे.

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गौरतलब  है कि कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसे विभिन्न प्रदूषकों के लिए वाहनों का उनके उत्सर्जन मानकों के लिए समय-समय पर परीक्षण किया जाता है जिसके बाद उन्हें पीयूसी प्रमाणपत्र दिया जाता है.दिल्ली में परिवहन विभाग द्वारा अधिकृत 900 से अधिक प्रदूषण जांच केंद्र हैं. ये पूरे शहर में फैले पेट्रोल पंपों और कार्यशालाओं में स्थापित किए गए हैं ताकि मोटर चालक इसे आसानी से कर सकें.पेट्रोल और सीएनजी से चलने वाले दुपहिया और तिपहिया वाहनों के मामले में प्रदूषण जांच का शुल्क 60 रुपये है. चार पहिया वाहनों के लिए यह 80 रुपये है. डीजल वाहनों के प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र का शुल्क 100 रुपये है.

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