एक समय था गाड़ी यानी चार पहिया खरीदना एक लग्जरी होता था. मोहल्ले में एक या दो लोगों के पास ही गाड़ी हुआ करती थी. लेकिन धीरे-धीरे ये लग्जरी से जरूरत की कैटेगरी में आ गई. अब सस्ती और महंगी गाड़ी में लग्जरी और जरूरत का अंतर देखा जाता है. गाड़ी खरीदने के लिए सभी को जिस कंपनी की गाड़ी खरीदनी है उसके डीलर के पास जाना होता है. डीलर के पास पहुंचते ही, वहां पर आपको गाड़ी के कई एसेसरीज से लेकर गाड़ी के इंश्योरेंस तक की बिक्री कर दी जाती है. कोई परिवार जब गाड़ी लेने जाता है तब वह इतनी खुशी में होता है कि वह कुछ बातों पर ध्यान नहीं दे पाता है.
साथ ही इस दौर का फायदा डीलर और उसके कर्मचारी उठाते हैं. वे ग्राहक के सामने गाड़ी को सजाने के सामान की झड़ी लगा देते हैं. पहली बार गाड़ी खरीदने वाला तो अमूमन उनके झांसे में आ जाता है लेकिन जो पहले गाड़ियां खरीद चुका होता है उसको कई बातों की जानकारी पहले से होती है और पुरानी गाड़ियों में वह काम कराने के चलते कई अनुभव ले चुका होता है. इसलिए डीलर और डीलर के कर्मचारी ऐसे जानकार लोगों को अपने प्रोडक्ट नहीं बेच पाते हैं. जो जरूरी होता केवल वहीं एसेसरीज लोग लगवाते हैं.
बरतनी चाहिए सावधानी
आज बात गाड़ी के इंश्योरेंस की हो रही है. गाड़ी का इंश्योरेंस लेने में किन बातों की सावधानी बरतनी चाहिए ये किसी को पता नहीं होता है. इसलिए जरूरी होता है कि जब गाड़ी खरीदने जाएं तो बाजार से कुछ एसेसरीज सहित इंश्योरेंस के कोटेशन पर गौर कर लेना चाहिए. इस प्रकार कुछ सावधानी और जागरूकता इंश्योरेंस में दिए जाने वाले पैसे में काफी कमी ला सकती है.
कोट (Quote) मंगाने पर दें जोर
कोई भी जब गाड़ी खरीदने जाए तो उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो भी इंश्योरेंस उसे बताया समझाया जा रहा है, उस कंपनी का इंश्योरेंस का कोट (Quote) मांगना चाहिए. साथ ही डीलर से ही अन्य कंपनियों के कोट मांगने चाहिए. कई बार डीलर यह कहकर बात टरका देते हैं कि केवल एक कंपनी से ही वे इंश्योरेंस कराते हैं. यदि आप जोर देंगे तो वे उपलब्ध करा देंगे. यदि ऐसा नहीं हुआ तो अन्य इंश्योरेंस कंपनी के लोग वहां पर मौजूद होते हैं जो आपको सस्ते कोट दे देंगे.
नेट पर कर लें चेक
यदि नहीं होता है तो मोबाइल के युग में आप तुरंत बैठे-बैठे भी इंश्योरेंस ले सकते हैं. ऐसा करने से आपके 30 प्रतिशत से लेकर 50 फीसदी तक पैसे की बचत हो सकती है. संभव हो सके कंस्टमर केयर पर बात कर लें.
जरूरी नहीं डीलर से खरीदें पॉलिसी
आपको यह बता दें कि यह जरूरी नहीं है कि आप जहां से गाड़ी खरीद रहे हैं वहीं से इंश्योरेंस भी कराएं. आपको इंश्योरेंस बेचने वाले डीलर के लोग कई बातें कहते हैं. यहां पर आपको सर्विस अच्छी मिलेगी. कोई दिक्कत नहीं आएगी. हमारे अपने वर्कशॉप हैं. आदि आदि. फिर भी किसी ग्राहक के पास विकल्प होता है कि वह अपने हिसाब से इंश्योरेंस का विकल्प चुने. उसे जहां बचत हो रही है वहीं से पॉलिसी लेनी चाहिए.
अथॉराइज्ड वर्कशॉप देते हैं सर्विस
कोई भी अथॉराइज्ड वर्कशॉप में किसी भी कंपनी के इंश्योरेंस से काम करवाया जा सकता है. बस यह समझ लें कि यह जरूरी नहीं कि आप उसी डीलर से पॉलिसी खरीदें. इसलिए यह जरूरी है कि इंश्योरेंस किस कंपनी से ले रहे हैं उसकी पॉलिसी डिटेल को अच्छे से पढ़-समझ लिया जाए.
पॉलिसी रिनीवल पर एनसीबी
एक बात और जब पॉलिसी रिनिवल का समय आ जाएगा तब भी आपको डीलर फोन करेगा और सारी बातें वही दोहराएगा. लेकिन आप देखिए कि कहां से सस्ती पॉलिसी मिल रही है. इस बार तो आप इस बात पर भी जोर दे सकते हैं कि एनसीबी है. यानि नो क्लेम बोनस भी मिल जाएगा. यदि गाड़ी संभाल कर चलाया जाए तो इसका काफी लाभ होता है और आपको अगली बार पॉलिसी लेने में कम से 30 से 50 प्रतिशत की पॉलिसी प्रीमियम में छूट मिलती है.