अगर आप अपने पैसे को सुरक्षित जगह पर रखना चाहते हैं और साथ ही उस पर गारंटी रिटर्न भी चाहते हैं, तो फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD आज भी एक भरोसेमंद ऑप्शन है. बहुत से लोग FD को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि इसमें न तो मार्केट रिस्क होता है और न ही पैसे डूबने का डर रहता है. बस एक तय समय के लिए पैसा जमा करिए और तय ब्याज के साथ रिटर्न पाईए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि FD में अधिकतम कितने रुपये जमा किए जा सकते हैं? आइए आपको बताते हैं....
FD क्यों है लोगों की पहली पसंद?
FD हमेशा से उन लोगों की पहली पसंद रही है जो अपने निवेश में रिस्क नहीं लेना चाहते. इसमें आपको हर हाल में तय ब्याज दर पर गारंटी रिटर्न मिलता है. नौकरीपेशा लोग, रिटायर्ड लोग या जिनकी सेविंग्स बैंक अकाउंट में पड़ी रहती है, उनके लिए FD एक अच्छा ऑप्शन है. एक साल और तीन साल की FD सबसे ज्यादा पॉपुलर मानी जाती है, क्योंकि इसमें कम समय में अच्छा ब्याज और जरूरत पड़ने पर पैसे निकालने की सुविधा दोनों मिलती हैं.
FD में कितनी राशि जमा की जा सकती है?
बहुत से लोगों को लगता है कि FD में एक लिमिट होती है, लेकिन ऐसा नहीं है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने FD में निवेश के लिए कोई अधिकतम सीमा तय नहीं की है. यानी आप चाहें तो लाखों या करोड़ों रुपये तक की FD करा सकते हैं. कई बैंक एक ही ग्राहक को अलग-अलग FD अकाउंट खोलने की भी अनुमति देते हैं.
हालांकि, बैंकिंग सुरक्षा के लिहाज से एक बात ध्यान में रखनी जरूरी है. हर ग्राहक को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत सिर्फ 5 लाख रुपये तक का बीमा मिलता है. इसमें मूल राशि और ब्याज दोनों शामिल हैं. मतलब अगर किसी वजह से बैंक डिफॉल्ट कर जाता है, तो इतनी राशि तक ही आपका पैसा सुरक्षित रहेगा.
FD से जुड़ी कुछ जरूरी बातें
हर बैंक में FD से जुड़े नियम थोड़े अलग होते हैं, लेकिन ज्यादातर बैंकों में न्यूनतम जमा राशि 1000 से 10000 रुपये के बीच होती है. FD की अवधि 7 दिन से लेकर 10 साल तक तय की जा सकती है. अगर आप FD को मैच्योरिटी से पहले तोड़ते हैं तो बैंक आम तौर पर पेनल्टी या कम ब्याज दर लागू करता है.
ब्याज दरें बैंक और डिपॉजिट अवधि पर निर्भर करती हैं. सीनियर सिटीजन को आम तौर पर बाकी ग्राहकों से ज्यादा ब्याज दिया जाता है, इसलिए रिटायर्ड लोगों के लिए FD बेहतर विकल्प है.
FD पर टैक्स का नियम भी जान लीजिए
FD से मिलने वाला ब्याज आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल होता है. अगर ब्याज आय साल में 40000 रुपये (सीनियर सिटिजन के लिए 50000 रुपये) से ज्यादा है, तो बैंक TDS काटता है. हालांकि, अगर आप टैक्स बचाना चाहते हैं तो टैक्स सेविंग FD एक अच्छा विकल्प हो सकता है. इसमें निवेश करने पर इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स छूट भी मिलती है.
अगर आप अपनी सेविंग्स को एक सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न वाले ऑप्शन में लगाना चाहते हैं, तो FD अब भी एक बढ़िया विकल्प है. इसमें जोखिम नहीं है, ब्याज तय है और जरूरत पड़ने पर पैसा निकालने की सुविधा भी मिलती है. हालांकि, बैंक डिफॉल्ट की स्थिति में DICGC बीमा केवल 5 लाख रुपये तक ही सुरक्षा देता है. इसलिए बड़ी रकम को अलग-अलग बैंकों में बांटकर FD करना समझदारी भरा कदम हो सकता है.














