जी-20 के नेताओं ने भारत से बाहर काम करने वालों के लिए पैसे भेजने की उच्च लागत को काफी महत्व दिया है और 2027 तक इस दर को औसतन तीन प्रतिशत पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं. एक शीर्ष अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि वर्तमान में, एक देश से दूसरे देश में मुद्रा भेजने की लागत औसतन प्रत्येक लेनदेन का लगभग 6 प्रतिशत है. वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक सलाहकार चंचल सरकार ने कहा, ‘‘कामगारों और भारत के बाहर कार्यरत कामगारों को मुद्रा स्थानांतरण की उच्च लागत वहन करनी पड़ती है, और जी-20 नेताओं ने इस दर को कम करने को बहुत महत्व दिया है.''
उन्होंने कहा, ‘‘2027 तक इसे घटाकर औसतन दर 3 फीसदी लाने का लक्ष्य है।''
सरकार 9-11 जनवरी को कोलकाता में आयोजित जी-20 के वित्तीय समावेशन के लिए पहली वैश्विक भागीदारी बैठक से पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि डिजिटल वित्तीय समावेशन सिद्धांतों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम (एसएमई) उद्यम के लिए वित्त उपलब्धता के साथ मुद्रा स्थानांतरण लागत तीन दिवसीय कार्यक्रम में चर्चा के प्रमुख विषयों में से एक होगी.
भारत ने नवंबर में जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देश ने 2021 में दूसरे देशों से मुद्रा स्थानांतरण में 87 अरब डॉलर प्राप्त किए, और चीन तथा मैक्सिको जैसे देशों से आगे रहा.
वर्ष 2021 के अनुमानों के अनुसार, चीन और मैक्सिको के 53 अरब डॉलर, फिलीपीन (36 अरब डॉलर) और मिस्र (33 अरब डॉलर) को पार करते हुए निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में भारत दूसरे देशों से मुद्रा भेजने के मामले में शीर्ष प्राप्तकर्ता था.