बाइडेन प्रशासन ने H-1B वीजा के इमीग्रेशन चार्ज में भारी बढ़ोतरी का दिया प्रस्ताव, IT प्रोफेेशनल्स की बढ़ेगी मुसीबत

US Visa Fees Hike:अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों प्रोफेेशनल्स की नियुक्ति करती हैं. इस कदम से  टेक्नोलॉजी कंपनियां काफी प्रभावित होंगी.

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US Visa Fees Hike: H-1B एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है, जो आईटी प्रोफेशनल्स के बीच काफी लोकप्रिय है.
नई दिल्ली:

US Visa Fees Hike: अमेरिका में नौकरी का सपना देख रहे भारतीय आईटी प्रोफेेशनल्स के लिए बुरी खबर है. जो(Joe Biden) बाइडेन प्रशासन ने उच्च कुशल विदेशी पेशेवरों के लिए एच-1बी वीजा सहित इमीग्रेशन चार्ज (Immigration Fees) में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है. एच-1बी वीजा (H-1B Visa) भारतीय टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स के बीच काफी लोकप्रिय है. यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) द्वारा बुधवार को प्रस्तावित नियम के तहत एच-1बी वीजा के लिए आवेदन शुल्क 460 डॉलर से बढ़ाकर 780 डॉलर और एल-1 के लिए आवेदन शुल्क 460 डॉलर से बढ़ाकर 1,385 डॉलर करने की योजना है. इसके साथ ही ओ-1 वीजा के लिए आवेदन शुल्क को 460 डॉलर से बढ़ाकर 1,055 डॉलर करने का प्रस्ताव किया गया है. 

जानें H-1B Visa के बारे में

H-1बी वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा ( Non-Immigrant VISA) है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को विशेष प्रकार की नौकरियां जिनमें टेक्नोलॉजी एक्सपर्टीज की जरूरत होती है, में नियोजित करने की अनुमति देता है. बाइडेन प्रशासन (Biden administration) के इस प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिलती है तो एच-1बी वीजा के लिए आवेदन शुल्क काफी बढ़ जाएगी.

अमेरिकी सरकार के इस कदम से आईटी कंपनियों पर होगा असर

अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों प्रोफेेशनल्स की नियुक्ति करती हैं. इस कदम से  टेक्नोलॉजी कंपनियां काफी प्रभावित होंगी. इसकी वजह ये है कि इस कैटेगरी के वीजा फीस का खर्चा नियोक्ता कंपनियां उठाती हैं. ऐसे में इस प्रस्ताव के लागू होने से टेक्नोलॉजी कंपनियों को अप्रवासी कर्मचारियों को काम पर रखना महंगा पड़ सकता है.

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जानें इस कदम के पीछे क्या है बाइडेन प्रशासन का मकसद

कि अमेरिकी सरकार इमीग्रेशन ऑपरेशन के मैनेजमेंट को बेहतर करने के साथ-साथ वीजा प्रोसैसिंग की ग्लोबल बैकलॉग से निपटने के लिए यह कदम उठाने जा रही है. अमेरिका के गृह विभाग ने अधिसूचना में कहा है कि यूएससीआईएस का फंड मुख्य रूप से वीजा आवेदकों से जुटाए गए शुल्क से जमा होता है. इस प्रस्तावित नियम के लिए 60 दिन की सार्वजनिक आपत्ति दर्ज करने की अवधि होगी. इसके बाद इसे लागू किए जाने की उम्मीद है.

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