Cyber Fraud Zepto Refund: देश के अलग-अलग हिस्सों से आए दिन साइबर फ्रॉड के मामले सामने आते रहते हैं. अहमदाबाद में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. एक महिला को क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म जेप्टो पर 24 रुपये का बैंगन मंगाकर रिफंड प्रोसेस कराना महंगा पड़ गया. महिला ने जेप्टो पर कुछ सब्जियां ऑर्डर की थी, जिनमें 24 रुपये का बैंगन भी शामिल था. उसने पतले वाले बैंगन मंगाए थे, लेकिन डिलीवरी ब्वॉय जब सब्जियां लेकर पहुंचा तो उनमें भट्टा बैंगन यानी बड़े साइज का बैंगन मिला. महिला इसकी वापसी और रिफंड के चक्कर में फ्रॉड का शिकार हो गई.
कॉल पर बात कर रहा शख्स फ्रॉड था, साइबर क्रिमिनल था. उसने एक लिंक भेजा और महिला से कहा कि वो अपना रिफंड चेक कर लें. महिला ने उस लिंक पर क्लिक किया, लॉग इन करने के लिए बैंक डिटेल मांगी गई. इसके बाद, महिला ने अपने यूपीआई पासवर्ड से रिफंड बैलेंस चेक करने की कोशिश की. जब कोई रिफंड नहीं आया तो उसने फिर से उसी नंबर पर कॉल किया तो उसे दूसरे बैंक खातों का बैलेंस चेक करने के लिए कहा गया. जब महिला ने दूसरे बैंक खातों की जांच की तो पता चला कि उसके खाते से 87,000 रुपये गायब हो गए हैं. इसके बाद उसने नजदीकी थाने में मामला दर्ज कराया. स्थानीय पुलिस मामले की जांच में जुटी है.
ये तो हो गई खबर, जो आपने पढ़ ही ली... अब महत्वपूर्ण सवाल ये है कि इस तरह के फ्रॉड से बचें कैसे... सरकारी एजेंसियां, पुलिस वगैरह इनसे बचने के लिए क्या सलाह देती हैं... आइए जानने-समझने की कोशिश करते हैं.
इस तरह के फ्रॉड से कैसे बचें?
सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि वैध कंपनियां कभी भी व्हाट्सऐप कॉल पर बैंक डिटेल या UPI पासवर्ड नहीं मांगतीं. इसलिए किसी भी लिंक पर बैंक डिटेल डालना सीधा साइबर जाल में फंसने जैसा है. दूसरी महत्वपूर्ण बात ये कि कस्टमर केयर नंबर हमेशा आधिकारिक ऐप या वेबसाइट से ही लेना चाहिए, न कि ऑनलाइन सर्च करने पर जो भी नंबर दिखाए, उस पर भरोसा कर लेना चाहिए. ऐसे रिफंड फ्रॉड से बचने के लिए साइबर सेल, पुलिस, RBI और गृह मंत्रालय की साइबर शाखा (CyberDost/I4C)... सारी एजेंसिया ऐसी ही सलाह देती हैं.
- कस्टमर केयर नंबर: किसी ऐप, बैंक, ई‑कॉमर्स या क्विक कॉमर्स कंपनी का हेल्पलाइन नंबर सिर्फ उनकी आधिकारिक वेबसाइट, मोबाइल ऐप या ऑर्डर रिसीट/एसएमएस से लें. गूगल सर्च, सोशल मीडिया पोस्ट, अनजान वेबसाइटों पर दिख रहे नंबर पर भरोसा न करें, ऐसे ही नकली नंबर से ज़्यादातर ठगी होती है.
- लिंक, ऐप और स्क्रीन शेयरिंग: 'रिफंड स्टेटस देखने', 'सपोर्ट ऐप इंस्टॉल करने' या 'KYC अपडेट' के नाम पर भेजे गए लिंक पर क्लिक न करें, न ही कोई अनजान APK या ऐप डाउनलोड करें. किसी भी थर्ड पार्टी को AnyDesk, TeamViewer, स्क्रीन‑शेयर या रिमोट एक्सेस देने से मना करें. साइबर सेल साफ कहती है कि असली एजेंसी कभी ऐसा नहीं कहती.
- बैंक डिटेल/OTP कभी न बताएं: साइबर पुलिस, RBI और CyberDost बार‑बार चेतावनी देते हैं कि OTP, UPI PIN, कार्ड CVV, एटीएम PIN, नेटबैंकिंग पासवर्ड किसी को भी फोन, SMS, व्हाट्सऐप या ईमेल पर न दें, चाहे वे खुद को कंपनी, बैंक या सरकारी अफसर बताएं. रिफंड के लिए बैंक डिटेल, UPI PIN या 'वेरिफिकेशन' पेमेंट मांगना सीधा फ्रॉड का संकेत है.
साइबर ठगी हो जाए तो तुरंत क्या करें
आप अगर किसी ऐसे साइबर फ्रॉड का शिकार होते हैं तो सबसे पहले अपने बैंक या UPI ऐप की हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके कार्ड या UPI आईडी ब्लॉक कराएं. साथ ही ट्रांजैक्शन डिसप्यूट दर्ज कराएं. आप 24×7 राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत कॉल कर सकते हैं और शिकायत दर्ज करा सकते हैं. जितनी जल्दी कॉल कर रिपोर्ट करेंगे, उतनी ही जल्दी और ज्यादा अमाउंट में पैसे रोकने या रिकवर होने की संभावना रहती है.
आप चाहें तो www.cybercrime.gov.in पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं. नजदीकी थाने के साइबर ब्रांच में लिखित FIR भी दर्ज करा सकते हैं. एक बात ध्यान में रखें कि अनजान नंबरों से 'रिफंड', 'इनकम टैक्स', 'KYC बंद होने', पार्सल पकड़े जाने, डिजिटल अरेस्ट जैसी बात हो तो तुरंत कॉल काट दें; उनसे ज्यादा बात ही न करें.
कुछ सुरक्षित आदतें भी अपनानी चाहिए
- सिर्फ भरोसेमंद, UPI/कार्ड‑सर्टिफाइड ऐप ही इस्तेमाल करें.
- टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन यानी दो‑स्तरीय सुरक्षा (पासवर्ड + OTP) जरूर ऑन रखें.
- पब्लिक वाई‑फाई पर बैंकिंग या UPI का इस्तेमाल न करे.
- साइबर सुरक्षित रहने के लिए अपने मोबाइल डेटा या भरोसेमंद नेटवर्क पर ही ट्रांजैक्शन करें.
SMS/ऐप नोटिफिकेशन आते ही हर ट्रांजैक्शन चेक करें और कोई अंजान डेबिट दिखे तो तुरंत बैंक और साइबर हेल्पलाइन को सूचना दें. किसी भी अंजान कॉल/लिंक पर तुरंत भरोसा न करें, खुद सोचें, परिवार से बात करें, फिर ही कोई कदम उठाएं; कारण कि यही जल्दबाजी और लालच ही साइबर ठगों का सबसे बड़ा हथियार है.














