एण्ड टीवी का शो 'संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं (Santoshi Maa Sunayein Vrat Kathayein)' भक्त और भगवान के बीच के विशुद्ध संबंध को दर्शाता है. मौजूदा स्थितियों में, इंद्रेश (आशीष कादयान) और स्वाति (तन्वी डोगरा (Tanvi Dogra)) औपचारिक रूप से पूरे रस्म और रिवाज़ के साथ शादी के बंधन में बंध गए हैं, जहां एक तरफ इंद्रेश ने इस सच को छुपाया कि स्वाति वास्तव में गर्भवती नहीं हैं. वहीं इंद्रेश की मां कुंती (पूर्वा पराग) अपने पोते का बेसब्री से इंतजार कर रही है. इंद्रेश का बाकी परिवार स्वाति को अपनी बहू के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नही हैं और उससे घर छोड़ने के लिए कहता है. इस बीच, देवलोक में पॉलोमी (सारा खान (Sara Khan)) संतोषी मां (ग्रेसी सिंह (Gracy Singh)) को भगवान इंद्र के अपहरण का दोषी ठहराती है. वह महादेव और भगवान विष्णु से मां की सभी शक्तियां छीनकर उन्हें दण्डित करने की आग्रह करती हैं. अब संतोषी मां अपनी प्रिय भक्त और उसके पति की इंद्रेश को फिर से साथ लाने में कैसे मदद कर पाएंगी?
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, इंद्रेश और स्वाति, स्वाति के घर जाने के लिए निकलते हैं. कुंती भी चाहती है कि वे दोनों वहां जाएं. जैसे ही वे स्वाति के घर पहुंचते हैं, इंद्रेश स्वाति के माता-पिता का आशीर्वाद लेता है. स्वाति के माता-पिता इन-दोनों को साथ देखकर बहुत खुश होते हैं. कुंती अपने कंगन स्वाति को देती है और इंद्रेश को फाइनल तारीख तय करने के लिए पंडित जी को बुलाने के लिए कहती है. पंडित जी पहुंचते हैं और इस बात का खुलासा करते हैं कि दोबारा विवाह असंभव है, क्योंकि इंद्रेश की जान खतरे में है. स्वाति जब समाधान के लिए पूछती है तो पंडित जी उसे कहते हैं कि उन्हें एक महीने से अधिक समय तक एक-दूसरे से अलग रहना होगा और महामृत्युंजय महामंत्र का जाप करना होगा. जबकि देवलोक में, संतोषी मां भगवान विष्णु के क्रोध का खामियाजा भुगतती है, क्योंकि पॉलोमी उनपर इंद्र को किडनैप करने का आरोप लगाती है. उनकी सारी शक्तियां उनसे छीन ली जाती हैं और उन्हें इंद्र को ढूंढ़ने के लिए पृथ्वीलोक पर भेज दिया जाता है.
इस प्लॉट के बारे में बात करते हुए संतोषी मां का किरदार निभाने वाली ग्रेसी सिंह (Gracy Singh) ने कहा, यह मेरे लिए सबसे गहन दृश्यों में से एक था क्योंकि संतोषी मां की शक्तियों को वापस ले लिया गया है और उनके लिए अपनी प्रिय भक्त स्वाति की इस कठिन समय में मदद करना बहुत अधिक मुश्किल हो जाता है. इससे स्वाति पर क्या असर पड़ेगा? क्या मां उसे चीजों को वापस सामान्य करने का मार्गदर्शन करने में सक्षम होंगी? अब मेरे अनुसार श्भक्त और भगवान के रिश्ते की अब सच्ची परीक्षा होगी.
स्वाति खुद को अपशगुन मानकर और पंडित जी के सुझाव के बाद घर छोड़ने और इंद्रेश से दूर रहने के लिए तैयार हो जाती है. स्वाति को वापस लाने की प्रक्रिया में, इंद्रेश के साथ एक भयानक दुर्घटना हो जाती है. क्या संतोषी मां के साथ मिलकर स्वाति इंद्रेश की जान बचा पाएगी? क्या इंद्रेश का परिवार अब इन सबके लिए स्वाति को दोषी ठहराएगा?
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