नितिन तोमर सबसे अमीर कबड्डी प्लेयर बन गए हैं
उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले का मलकपुर गाँव कुश्ती का गढ़ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है की इस गाँव का बच्चा 9 वर्ष की आयु से ही कुश्ती के गुर सीखने के लिए ट्रेनिंग लेने लगता है. इस गाँव ने भारत को शोकेन्दर तोमर, राजीव तोमर और अलका तोमर के रूप में तीन अर्जुन पुरस्कार प्राप्त करने वाले रेसलर्स प्रदान किये है. ऐसे ही एक और तोमर नेशनल लेवल पर अपने खेल का लोहा मनवा रहे हैं - लेकिन कुश्ती में नहीं, कबड्डी में. नितिन तोमर, जिन्होंने सपने तो देखे थे एक कामयाब पहलवान बनने के, अब सबसे अमीर कबड्डी प्लेयर बन गए हैं. प्रो कबड्डी लीग के 5वें संस्करण में नितिन ने सारे रिकार्ड्स ध्वस्त करते हुए सबसे महंगे खिलाडी बनने की उपलब्धि हासिल करी. नितिन को संस्करण की नई टीम यूपी ने 93 लाखों की भारी भरकम कीमत में खरीदा. उन्होंने नामी खिलाड़ी मंजीत चिल्लर और रोहित कुमार को पछाड़ते हुए प्रो कबड्डी लीग के 5वें संस्करण की नीलामी के दौरान सबको चौंका दिया.
एक सफल रेसलर बनने का देखा था सपना
नितिन तोमर अपने परिवार के सदस्यों के नक्शेकदम पर चलते हुए कुश्ती में ही अपना भाग्य आज़माना चाहते थे. नितिन के दो चाचा भारत के लिए कुश्ती लड़ चुके हैं. ऐसे में उनका भी इसी दिशा में बढ़ना स्वाभाविक था. फिर ऐसा क्या हुआ जो उन्होंने कुश्ती छोड़कर कबड्डी को चुन लिया. 6 साल की आयु से ही कुश्ती के अखाड़े के दांव पेंच सीखने की शुरुआत करने वाले नितिन के स्कूल में हुई तब्दीली ने उनके खेल को भी बदल दिया. दरअसल जिस स्कूल में नितिन का एडमिशन हुआ उसमे कुश्ती ज़्यादा लोकप्रिय नहीं थी. नितिन ने खुद माना की वो कुश्ती में ही करियर बनाना चाहते थे लेकिन नए स्कूल में कुश्ती के लिए सुविधाओं की कमी के चलते उन्हें मजबूरन कबड्डी अपनानी पडी.
कबड्डी को चुनने के बाद नितिन ने वापस पलटकर नहीं देखा. 2010 में छत्तीसगढ़ में आयोजित जूनियर नेशनल कबड्डी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद उन्होंने 2010-11 में भोपाल में सीनियर स्कूल नेशनल कबड्डी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद वर्ष 2012 में भारतीय नेवी में उनकी स्पोर्ट्स कोटे के तहत भर्ती हुई. दो साल बाद वर्ष 2014 में तमिलनाडु में नेशनल कबड्डी चैंपियनशिप में उन्हें स्वर्ण पदक के साथ बेस्ट खिलाड़ी के खिताब से नवाज़ा गया. 2015 में अंततः उन्होंने प्रो कबड्डी लीग में एंट्री करी जहाँ वो बंगाल वारियर्स टीम में शामिल हुए जबकि 2016 में पुनेरी पल्टन का हिस्सा बनते हुए कांस्य पदक हासिल किया. एक कुशल रेडर नितिन, 2016 कबड्डी वर्ल्ड कप की विजेता भारतीय टीम का हिस्सा थे.
एक सफल रेसलर बनने का देखा था सपना
नितिन तोमर अपने परिवार के सदस्यों के नक्शेकदम पर चलते हुए कुश्ती में ही अपना भाग्य आज़माना चाहते थे. नितिन के दो चाचा भारत के लिए कुश्ती लड़ चुके हैं. ऐसे में उनका भी इसी दिशा में बढ़ना स्वाभाविक था. फिर ऐसा क्या हुआ जो उन्होंने कुश्ती छोड़कर कबड्डी को चुन लिया. 6 साल की आयु से ही कुश्ती के अखाड़े के दांव पेंच सीखने की शुरुआत करने वाले नितिन के स्कूल में हुई तब्दीली ने उनके खेल को भी बदल दिया. दरअसल जिस स्कूल में नितिन का एडमिशन हुआ उसमे कुश्ती ज़्यादा लोकप्रिय नहीं थी. नितिन ने खुद माना की वो कुश्ती में ही करियर बनाना चाहते थे लेकिन नए स्कूल में कुश्ती के लिए सुविधाओं की कमी के चलते उन्हें मजबूरन कबड्डी अपनानी पडी.
नितिन का अब तक का कबड्डी में सफर
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