ज्वाला गुट्टा डबल्स में भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी रही हैं (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारत की युगल विशेषज्ञ ज्वाला गुट्टा ने मंगलवार को कहा कि वह खिलाड़ियों की मदद करने के लिए अपने अनुभव का इस्तेमाल करना चाहती हैं और सलाहकार के तौर पर भारतीय बैडमिंटन संघ (बाई) से जुड़ना चाहती हैं.
ज्वाला ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मुझे पर्याप्त अनुभव है और मैंने अपने देश के लिए कई खिताब और पदक जीते हैं. मैं युगल खिलाड़ियों की मदद कर सकती हूं. मैं युगल खिलाड़ियों से जुड़े मसलों के संबंध में सलाहकार के तौर पर संघ के प्रशासन में आना चाहती हूं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम हमेशा युगल के प्रदर्शन की आलोचना करते हैं. एकल खिलाड़ियों को जो लगातार सहयोग मिलता है वह युगल खिलाड़ियों की तुलना में बहुत अधिक है. यह अंतर 100:1 का है. हमें बमुश्किल ही सहयोग मिलता है. हमें केवल सरकार से सहयोग मिलता है लेकिन अगर हमें शीर्ष स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करना है तो यह उसके लिए पर्याप्त नहीं है.’’
ज्वाला ने कहा, ‘‘हमारे साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है और इतने वर्षों में कुछ भी नहीं बदला है. हम यहां केवल इसलिए हैं क्योंकि हम यहां रहना चाहते हैं और हमें किसी तरह का सहयोग नहीं मिलता है. संभवत: यह मेरे करियर का आखिरी चरण है लेकिन हमारे पास अब भी युगल संस्कृति नहीं है. भारत में युगल खिलाड़ी बनने के लिए हिम्मत चाहिए.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
ज्वाला ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मुझे पर्याप्त अनुभव है और मैंने अपने देश के लिए कई खिताब और पदक जीते हैं. मैं युगल खिलाड़ियों की मदद कर सकती हूं. मैं युगल खिलाड़ियों से जुड़े मसलों के संबंध में सलाहकार के तौर पर संघ के प्रशासन में आना चाहती हूं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम हमेशा युगल के प्रदर्शन की आलोचना करते हैं. एकल खिलाड़ियों को जो लगातार सहयोग मिलता है वह युगल खिलाड़ियों की तुलना में बहुत अधिक है. यह अंतर 100:1 का है. हमें बमुश्किल ही सहयोग मिलता है. हमें केवल सरकार से सहयोग मिलता है लेकिन अगर हमें शीर्ष स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करना है तो यह उसके लिए पर्याप्त नहीं है.’’
ज्वाला ने कहा, ‘‘हमारे साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है और इतने वर्षों में कुछ भी नहीं बदला है. हम यहां केवल इसलिए हैं क्योंकि हम यहां रहना चाहते हैं और हमें किसी तरह का सहयोग नहीं मिलता है. संभवत: यह मेरे करियर का आखिरी चरण है लेकिन हमारे पास अब भी युगल संस्कृति नहीं है. भारत में युगल खिलाड़ी बनने के लिए हिम्मत चाहिए.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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