केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी. (फाइल फोटो)
तिरुवनंतपुरम:
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद अब केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने सोमवार को केंद्र सरकार के उस कदम की निंदा की है, जिसमें सरकार ने उन लोगों के लिए नारंगी रंग का पासपोर्ट लाने का फैसला किया है, जिन्होंने 10वीं कक्षा की परीक्षा पास नहीं की है. चांडी ने केंद्र के इस फैसले को भेदभावपूर्ण नीति बताया.
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चांडी ने कहा, 'किसी भी तरह से इस प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए. यह दो अलग-अलग तरह के नागरिकों में भेद होगा. एक जो शिक्षित हैं और दूसरे जो अशिक्षित हैं. शैक्षिक योग्यता के आधार पर यह भारतीय लोगों को साथ भेदभाव है.'
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उन्होंने कहा, 'अगर ऐसा सच में हो जाता है तो जिस क्षण नारंगी रंग के पासपोर्ट धारक विदेशी सरजमीं पर कदम रखेंगे, उनके साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार होगा और इसका असर उन लोगों के चरित्र और व्यक्तित्व पर पड़ेगा. ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए.' चांडी ने कहा कि हमारे कई देशवासियों ने मध्यपूर्व के देशों में मुश्किल परिस्थितियों में रहकर कड़ी मेहनत की है. उनकी कड़ी मेहनत द्वारा अर्जित की गई कमाई की भेजी गई रकम ने राज्य और देश की प्रगति में योगदान दिया है.
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यहां स्थित विकास अध्ययन केंद्र में आव्रजन विभाग के प्रमुख एस. इरुदयाराजन ने भी प्रस्तावित कदम की निंदा की. उन्होंने कहा, 'हमारे अध्ययन के अनुसार केरल के 25 लाख प्रवासियों में से लगभग 15 फीसदी ने 10वीं पास नहीं की है तो अन्य बड़े राज्यों में यह आंकड़ा 50 फीसदी से ज्यादा होगा.' इरुदयाराजन ने कहा कि नागरिकों को शैक्षिक योग्यता के आधार पर बांटने को मंजूर नहीं किया जाएगा. इस प्रस्ताव को निरस्त करना चाहिए.
(इनपुट : IANS)
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चांडी ने कहा, 'किसी भी तरह से इस प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए. यह दो अलग-अलग तरह के नागरिकों में भेद होगा. एक जो शिक्षित हैं और दूसरे जो अशिक्षित हैं. शैक्षिक योग्यता के आधार पर यह भारतीय लोगों को साथ भेदभाव है.'
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उन्होंने कहा, 'अगर ऐसा सच में हो जाता है तो जिस क्षण नारंगी रंग के पासपोर्ट धारक विदेशी सरजमीं पर कदम रखेंगे, उनके साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार होगा और इसका असर उन लोगों के चरित्र और व्यक्तित्व पर पड़ेगा. ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए.' चांडी ने कहा कि हमारे कई देशवासियों ने मध्यपूर्व के देशों में मुश्किल परिस्थितियों में रहकर कड़ी मेहनत की है. उनकी कड़ी मेहनत द्वारा अर्जित की गई कमाई की भेजी गई रकम ने राज्य और देश की प्रगति में योगदान दिया है.
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यहां स्थित विकास अध्ययन केंद्र में आव्रजन विभाग के प्रमुख एस. इरुदयाराजन ने भी प्रस्तावित कदम की निंदा की. उन्होंने कहा, 'हमारे अध्ययन के अनुसार केरल के 25 लाख प्रवासियों में से लगभग 15 फीसदी ने 10वीं पास नहीं की है तो अन्य बड़े राज्यों में यह आंकड़ा 50 फीसदी से ज्यादा होगा.' इरुदयाराजन ने कहा कि नागरिकों को शैक्षिक योग्यता के आधार पर बांटने को मंजूर नहीं किया जाएगा. इस प्रस्ताव को निरस्त करना चाहिए.
(इनपुट : IANS)
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