'वागीर' पनडुब्बी को अब तक की सभी स्वदेशी निर्मित पनडुब्बियों में सबसे कम निर्माण समय में पूरा होने का गौरव प्राप्त
भारतीय नौसेना 23 जनवरी को पांचवीं स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वागीर को कमीशन करेगी. इसे मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के तहत भारत में निर्मित किया गया है. वागीर से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ने वाली है. यह पांचवीं डीजल इलेक्ट्रिक स्कॉर्पीन पनडुब्बी है.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
उन्नत ध्वनिक अवशोषण तकनीक जैसी सुविधाओं से लैस पनडुब्बी वागी का निर्माण जुलाई 2009 में शुरू हुआ था. इसका नाम INS वागीर से मिला, जो रूस की एक कलवारी श्रेणी की पनडुब्बी थी. इसने 1973 से 2001 तक नौसेना में सेवा देती रही थी.
वागीर ने पिछले साल फरवरी में अपनी पहली समुद्री यात्रा शुरू की थी, जब इसका समुद्री परीक्षण शुरू हुआ था. यह व्यापक और कड़े जांच वाले समुद्री परीक्षणों की एक पूरी श्रृंखला से गुजरा है.
पनडुब्बी, जिसे 'सैंड शार्क' भी कहा जाता है, पिछले साल 20 दिसंबर को भारतीय नौसेना को सौंपी गई थी. एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, यह 'स्टील्थ एंड फीयरलेसनेस' का प्रतिनिधित्व करता है.
भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के तहत फ्रांसीसी कंपनी डीसीएनएस द्वारा डिजाइन की गई छह कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण भारत में किया जा रहा है. ये एंटी-सरफेस वारफेयर, एंटी-सबमरीन वारफेयर, खुफिया जानकारी इकट्ठा करने, माइन बिछाने और एरिया सर्विलांस जैसे मिशन कर सकती हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नौसेना के एक अधिकारी ने कहा कि वागीर एक बेहतरीन समुद्री 'हथियार' है, भारत की क्षमता को बढ़ाएगा और विविध मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है.