35 साल पहले जुदा हुआ 2 साल का मासूम बेटा जब मिला तो फफक-फफक कर रो पड़ी मां

जगजीत सिंह कहते हैं, "रब ने मुझे दुनिया की हर चीज दी है. मेरे दादा-दादी ने मेरे लिए बहुत किया. लेकिन मुझे जन्म देने वाली मां, मेरे भगवान से मैं मिला नहीं था. इस बाढ़ ने मुझे मेरी मां मेरे भगवान से मिला दिया."

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मां-बेटे के इस मिलन को जिसने भी देखा, वह भावुक हो गया.

नई दिल्ली:

पंजाब में भारी बारिश की वजह से आई बाढ़ ने जमकर कहर बरपाया. बाढ़ का पानी घरों में घुस आने के कारण हजारों लोगों को दूसरे जगह जाने को मजबूर होना पड़ा. इस बीच पंजाब में बाढ़ के कहर के बीच एक अच्छी खबर भी सामने आई है. यहां बाढ़ ने 35 साल पहले बिछड़े बेटे को अपनी मां से मिला दिया. बाढ़ प्रभावित लोगों को रेस्क्यू करने के दौरान वॉलन्टियर जगजीत सिंह जब अपनी मां से मिले, तो दोनों की आंखें नम हो गईं.

जगजीत सिंह पटियाला के बोहरपुर गांव में बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद करने के मिशन में लगे थे. वो लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाके से निकालने के काम में लगे थे. उन्हें कतई अंदाजा नहीं था कि इस नेक काम का फल ऐसे मिलेगा. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जगजीत सिंह को उनकी मां हरजीत कौर मिल गईं. जब जगजीत 6 महीने के थे, तब उनके पिता की मौत हो गई थी. फिर उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली. 

2 साल बाद जगजीत सिंह के दादा-दादी उन्हें अपने साथ ले गए. जैसे-जैसे वह बड़े हुए, उन्हें बताया गया कि उसके माता-पिता की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. वह इसी सच के साथ जी रही थे. अब तीन दशक से ज्यादा समय के बाद अपनी मां को सामने पाकर वो खुशी से रो पड़े. दोनों के ही आंखों में आंसू थे. मां-बेटे के इस मिलन को जिसने भी देखा, वह भावुक हो गया.

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इस तरह मां का चला पता
NDTV से खास बातचीत में जगजीत सिंह ने बताया कि वो आखिर अपनी मां के पास कैसे पहुंचे? सिंह ने कहा, "मेरी जिंदगी की कहानी अब सबके सामने है. पटियाला में बाढ़ की वजह से कई इलाके प्रभावित हैं. अब तक मुझे पता नहीं था कि मेरी मां इस दुनिया में है. लेकिन ये सच नहीं था. मैं 19 जुलाई को पटियाला में था और बाढ़ प्रभावित इलाके में रेस्क्यू ऑपरेशन का हिस्सा था. इस दौरान मेरी बुआ ने मुझे कॉल किया था. बुआ ने मुझे बताया कि मेरी नानी का घर भी पटियाला में है. उन्होंने अस्पष्ट रूप से बताया कि यह बोहरपुर गांव है जहां मेरे नाना-नानी रहते होंगे."

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नानी से पता चला मां ने शादी कर ली थी
जगजीत सिंह ने बताया, "इसके बाद मैं बोहरपुर पहुंचा और अपनी नानी प्रीतम कौर से मिला. मैंने उनसे सवाल पूछना शुरू कर दिया. लेकिन वो मेरे सवालों को टाल रही थीं. जब मैंने उन्हें बताया कि मैं उनका नाती हूं, तो वो हैरान थीं. उन्होंने बताया कि मैं हरजीत कौर का पहली शादी से पैदा हुआ बेटा हूं. मैं टूट गया. मैंने कहा कि मैं बदकिस्मत बेटा हूं, जो तीन दशकों से अधिक समय तक अपनी मां को नहीं देख सका."

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दोनों परिवारों में अच्छे नहीं थे रिश्ते
जगजीत ने बताया, "मुझे पांच साल पहले ही पता चला कि मेरी मां जिंदा हैं. लेकिन मेरे पास अधिक जानकारी नहीं थी. दादा-दादी और नाना-नानी के बीच संबंध ठीक नहीं थे. इसलिए दोनों परिवारों ने रिश्ते तोड़ लिए थे. न तो कभी ननिहाल से उनके ददिहाल संपर्क रखा गया न ही ददिहाल से ननिहाल में." 

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बचपन की तस्वीरों में दिखी थी मां
जगजीत आगे बताते हैं, "बचपन की कुछ तस्वीरें देखने पर मुझे एक तस्वीर में एक महिला दिखी, मुझे नहीं पता था कि वह मेरी मां है. मैं अपने दादाजी से पूछता था और वह मुझे बताते थे कि मेरे माता-पिता की एक कार हादसे में मौत हो गई. मेरे दादाजी एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी थे. वो दो दशक पहले हरियाणा से पंजाब के कादियान में ट्रांसफर होकर आए थे.'

जगजीत सिंह कहते हैं, "रब ने मुझे दुनिया की हर चीज दी है. मेरे दादा-दादी ने मेरे लिए बहुत किया. लेकिन मुझे जन्म देने वाली मां, मेरे भगवान से मैं मिला नहीं था. इस बाढ़ ने मुझे मेरी मां मेरे भगवान से मिला दिया."

जगजीत सिंह ने अपनी मां हरजीत कौर से इस मुलाकात को फेसबुक पर शेयर भी किया है. उन्होंने लिखा वह और उनकी मां अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाए और लिपटकर खूब रोए.
 

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