- PM मोदी ने भूटान के पूर्व राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक से थिम्पू में भेंट की और कालचक्र अनुष्ठान में भाग लिया
- कालचक्र सेरेमनी बौद्ध धर्म का महाकुंभ है जिसमें विश्व शांति के लिए प्रार्थना और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं
- मोदी ने चौथे नरेश की 70वीं जयंती पर बधाई दी और भारत-भूटान संबंधों को मजबूत बनाने में उनके योगदान की सराहना की
PM Modi Bhutan Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को थिम्पू में भूटान के पूर्व राजा और चौथे नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक से मुलाकात की. उन्होंने वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव के कालचक्र अनुष्ठान में भाग लिया. कालचक्र सेरेमनी तिब्बती बौद्ध धर्म से जुड़ी है, जिसका अर्थ 'समय का चक्र' होता है. कालचक्र को बौद्ध धर्म का महाकुंभ भी कहा जाता है, जिसमें सभी मिलकर विश्व की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. कालचक्र सेरेमनी में कई तरह के कार्यक्रम भी होते हैं.
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर महोत्सव की तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा, "महामहिम चतुर्थ नरेश के साथ कालचक्र 'समय का चक्र' सेरेमनी का उद्घाटन करने का सम्मान मिला. इसकी अध्यक्षता परम पावन जे खेनपो ने की जिसने इसे और भी विशेष बना दिया. यह दुनिया भर के बौद्धों के लिए महान सांस्कृतिक महत्व वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. कालचक्र सशक्तिकरण चल रहे वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव का एक हिस्सा है जो भूटान में बौद्ध धर्म के भक्तों और विद्वानों को एक साथ लाया है."
प्रधानमंत्री ने महामहिम, चौथे नरेश की 70वीं जयंती के अवसर पर बधाई भी दी और भारत सरकार एवं जनता की ओर से उनके निरंतर अच्छे स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए शुभकामनाएं एवं प्रार्थनाएं व्यक्त कीं. उन्होंने भारत-भूटान मैत्री को और सुदृढ़ बनाने में उनके नेतृत्व, परामर्श और मार्गदर्शन के लिए चौथे नरेश का धन्यवाद किया. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों और पारस्परिक हित के मुद्दों पर चर्चा की. इस संदर्भ में, उन्होंने साझा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित किया जो दोनों देशों के लोगों को करीब लाते हैं.
कालचक्र सेरेमनी में पीएम मोदी
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर मुलाकात की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, "महामहिम चतुर्थ नरेश के साथ एक अच्छी बैठक हुई. भारत-भूटान संबंधों को और मजबूत करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में उनके व्यापक प्रयासों की सराहना की. ऊर्जा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और कनेक्टिविटी में सहयोग पर चर्चा हुई. गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी परियोजना की प्रगति की सराहना की, जो हमारी एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप है."
इससे पहले मंगलवार को, प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान के चौथे नरेश की 70वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में भी भाग लिया और भारत और भूटान के बीच स्थायी मित्रता और आध्यात्मिक संबंधों की पुष्टि की.
11 नवंबर, 1955 को जन्मे जिग्मे सिंग्ये वांगचुक ने भूटान के चौथे नरेश ग्यालपो के रूप में कार्य किया. उनका शासनकाल 1972 से 2006 तक चला और उन्हें भूटान के सबसे दूरदर्शी और प्रिय राजाओं में से एक माना जाता है. उनके नेतृत्व में, भूटान का आधुनिकीकरण हुआ, राष्ट्रीय एकता मजबूत हुई और एक अद्वितीय सुख-आधारित दर्शन अपनाया गया जिसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली.
प्रधानमंत्री मोदी और भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने ऊर्जा, क्षमता निर्माण, संपर्क, प्रौद्योगिकी, रक्षा और सुरक्षा सहित सहयोग के व्यापक क्षेत्रों पर व्यापक चर्चा की थी.
प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद, दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया, जो भारत और भूटान के बीच एक प्रमुख सहयोग है और दोनों देशों के बीच बढ़ती ऊर्जा साझेदारी को रेखांकित करता है.












