तिरुचि के WASH वॉरियर को स्वच्छता में उनके योगदान के लिए पद्म श्री 2022 से सम्मानित किया गया
स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों को शौचालय और साफ पानी उपलब्ध कराने में मदद करने के लिए, 57 वर्षीय एस. दामोदरन, संस्थापक, ग्रामालय ने तीन दशक से ज़्यादा तक का समय बिताया है.
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एस. दामोदरन को पूरे दक्षिण भारत में गांवों और शहरी मलिन बस्तियों में स्वच्छता पर उनके काम के लिए पद्म श्री पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया है.
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वह पिछले 35 सालों से पूरे दक्षिण भारत के गांवों और शहरी झुग्गियों में शौचालयों का निर्माण करके और लोगों के बीच स्वच्छता को बढ़ावा देकर खुले में शौच को समाप्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं.
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दामोदरन और उनके संगठन ने 2003 में तिरुचि के थंडावमपट्टी में भारत का पहला खुले में शौच मुक्त गांव बनाया.
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अब तक उन्होंने अपने संगठन के साथ दक्षिण भारत में 600 गांवों और 200 मलिन बस्तियों को खुले में शौच से मुक्त करने में अपना अहम योगदान दिया है.
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एक साल से ज़्यादा समय से, ग्रामालय दक्षिण भारत में रेकिट के हार्पिक वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज की पहल का समर्थन करता आ रहा है.
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ग्रामालय तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश राज्यों में हार्पिक वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज के सहयोगी के रूप में 3,000 सफाई कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने की दिशा में काम कर रहा है.
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साल 2022-2023 के लिए हार्पिक वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज का विस्तार 3 और राज्यों - तेलंगाना, कर्नाटक और पुदुच्चेरी में किया जाएगा, ताकि ग्राम्य के साथ-साथ 6,000 स्वच्छता कर्मचारियों को अपस्किल किया जा सके.
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